कश्मीर में टारगेट किलिंग की कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन बिहार में भी कुछ ऐसी ही साजिश रची जा रही थी. टारगेट किलिंग का प्लान कोई और नहीं बल्कि प्रतिबंधित संगठन पीएफआई कर रहा था और इसके लिए सशत्र ट्रेनिंग भी दी जानी शुरू कर दी गई थी. दरअसल, प्रतिबंध लगने के बाद बिहार में पीएफआई खुद को नए तरीके से तैयार कर रहा था. अब पीएफआई सेना की तरह ट्रेनिग देने के लिए कई लोगों को तैयार कर रहा था और कई वीआईपी लोगों को टारगेट करने की तैयारी में जुटा हुआ था. पीएफआई कई लोगों की हत्याएं करना चाहता था और बकायदा उन लोगों की लिस्ट भी बना ली गई थी. इस बात का खुलासा एनआईए द्वारा किया गया है. एनआईए के मुताबिक, पीएफआई पर सरकार की कार्रवाई के बाद अब यह धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए अब सिर्फ और सिर्फ टारगेट किलिंग पर ही काम कर रहा था.
एनआईए से दुड़े सूत्रों के मुताबिक फरार चल रहा बिहार पीएफआई माड्यूल का सक्रिय सदस्य याकूब टारगेट किलिंग ऑपरेशन का मुख्य कर्ताधर्ता है. एनआईए और खुफिया एजेंसियों को जांच के दौरान पता चला है कि चकिया इलाके का रहने वाला पीएफआई का सदस्य याकूब बीते डेढ़ वर्षों से सशस्त्र ट्रेनिंग दे रहा था, लेकिन जब सरकार द्वारा पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया तो उसने अपने काम करने का तरीका अब बदल दिया.
प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के द्वारा टारगेट किलिंग के लिए सूची भी बना रखी थी. इतना ही नहीं याकूब के पास हथियार और गोलियां भी पहुंचाए जा रहे थे. टारगेट किलिंग की वारदातों को अंजाम देने के पीछे पीएफआई का एकमात्र मकसद ये था कि वह खुद के प्रतिबंधित होने के बाद भी दोबारा अपनी मौजूदगी दर्ज करा सके. एनआई जांच में ये बात भी सामने आई है कि बीते डेढ़ वर्षों में याकूब बिहार में करीब 1 दर्जन सशस्त्र ट्रेनिंग कैंप चला चुका है. याकूब द्वारा संचालित किए जा रहे कैंप फुलवारी शरीफ, बेतिया, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, दरभंगा, मोतिहारी, मधुबनी और बिहारशरीफ में थे.
HIGHLIGHTS
- PFI कर रहा था टारगेट किलिंग की तैयारी
- NIA जांच में हुआ खुलासा
Source : News State Bihar Jharkhand