पितृपक्ष में पितरों (पूर्वजों) को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ 'मोक्ष नगरी' गया आने वाले पिंडदानियों के लिए सज-धज कर तैयार है. पुरखों (पूर्वजों) को पिंडदान करने के लिए आने वाले देश-दुनिया के पिंडदानियों का अब यहां इंतजार हो रहा है. वैसे कई पिंडदानी यहां पहुंच भी गए हैं. प्रशासन और गयापाल पंडा समाज द्वारा तीर्थनगरी गया में आने वालों के रहने की व्यवस्था की गई है. जबकि धर्मशाला, होटल, निजी आवास पिंडदानियों से भरने लगे हैं. भगवान विष्णु की नगरी 'मोक्ष धाम' में पिंडदानियों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. गया जिले के एक अधिकारी के मुताबिक इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर यहां आठ लाख से ज्यादा श्रद्घालुओं के आने की संभावना है.
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हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है. मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. वैसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं, परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है.
गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने आईएएनएस को बताया कि पितृपक्ष में लाखों लोगों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रशासन तत्पर है. उन्होंने बताया कि मेला में किसी भी प्रकार की परेशानी के लिए प्रशासन द्वारा एक कॉल सेंटर बनाया गया है, जिसमें हेल्पलाइन के नंबर पर परेशानी बताई जा सकती है.
इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर प्रशासन द्वारा स्कूलों, पंडा आवासों, धर्मशालाओं तथा निजी मकानों में श्रद्घालुओं को ठहरने की व्यवस्था की गई है. एक अधिकारी के मुताबिक, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पितृपक्ष मेला का उद्घाटन गुरुवार को विष्णुपद मंदिर परिसर में करेंगे. उसके बाद विष्णुपद मंदिर परिसर में बने भव्य पंडाल में मंत्रोच्चारण के साथ पितृपक्ष मेला शुरू हो जाएगा.
उल्लेखनीय है कि इस मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है. गयावाल पंडा समाज के गजाधर लाल पंडा कहते हैं, "पिंडवेदी कोई एक जगह नहीं है. तीर्थयात्रियों को धार्मिक कर्मकांड में दिनभर का समय लग जाता है. ऐसे में लोग पूरी तरह थक जाते हैं, और तीर्थयात्री अपने परिवार के साथ आराम की तलाश करते हैं."
उन्होंने कहा, "आश्विन माह के कृष्णपक्ष के पितृपक्ष पखवारे में विष्णुनगरी में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना लिए देश ही नहीं, विदेशों से भी सनातन धर्मावलंबी गयाजी आते हैं. इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग-अलग है." उन्होंने मीडिया को बताया, "श्रद्घालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड करते हैं. कर्मकांड करने आने वाले श्रद्घालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पूर्व से ही इसकी व्यवस्था कर चुके होते हैं."
गया के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. उन्होंने बताया कि मेला की सुरक्षा में तैनाती के लिए दूसरे जिलों से भी पुलिस बल बुलाया गया है. पुलिसकर्मी रेलवे स्टेशन क्षेत्र से लेकर पिंडवेदियों तक पैनी निगाह रखेंगे.
पिंडवेदियों में प्रेतशिला, रामशिला, अक्षयवट, देवघाट, सीताकुंड, देवघाट, ब्राह्मणी घाट, पितामहेश्वर घाट काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. उल्लेखनीय है कि गया में पितृपक्ष मेला 28 सितंबर तक चलेगा.
Source : आईएएनएस