कोरोना काल में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर बिहार में सियासत जारी है. मजदूरों की घर वापसी की मांग करते हुए राज्य के विपक्षी दल लगातार नीतीश कुमार सरकार पर हमलावर हैं तो राज्य सरकार की ओर से भी विपक्षी नेताओं पर पलटवार किया जा रहा है. इसी कड़ी में बिहार के दो दिग्गज नेता आमने-सामने आ गए हैं. राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव और बिहार (Bihar) के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बीच टि्वटर वार छिड़ गया है.
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लालू प्रसाद यादव ने शनिवार को ट्वीट करके नीतीश कुमार सरकार को घेरा था. उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'बिहार को बिहार और बिहारवासियों के हितों के लिए खूंटा गाड़ लड़ने वाली सरकार चाहिए. कदम-कदम पर लड़खड़ाने वाली खोखली ढकोसली, विश्वासघाती, कुर्सीवादी और पलटीमार सरकार नहीं.' लालू ने पूछा था कि नीतीश और उनका स्टेपनी सुशील मोदी बताए, उनके 15 वर्षों के राज में बिहार के हर दूसरे घर से पलायन काहे हुआ?
बिहार को बिहार और बिहारवासियों के हितों के लिए खूँटा गाड़ लड़ने वाली सरकार चाहिए। कदम कदम पर लड़खड़ाने वाली खोखली ढकोसली, विश्वासघाती, कुर्सीवादी और पलटीमार सरकार नहीं।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 9, 2020
नीतीश और उनका स्टेपनी सुशील मोदी बताए, उनके 15 वर्षों के राज में बिहार के हर दूसरे घर से पलायन काहे हुआ?
इस पर पलटवार करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा था, 'जय श्री लालू प्रसाद के कारण लाखों मजदूरों छात्रों और रोजगार देने वाले उद्यमियों को बिहार छोड़ना पड़ा, वे खुद बिहारियों की मुसीबत और शर्मिंदगी के सियासी गुनहगार हैं.' मोदी ने कहा था कि जिन्हें अपने किए पर माफी बननी चाहिए, वे जेल से ट्वीट कर सवाल पूछ रहे हैं.
राजद काल के बिहार में न अच्छी सड़क थी, न पर्याप्त बिजली। विकास ठप था। स्कूली शिक्षा चरवाहा विद्यालय के स्तर पर आ गई थी और राजनीतिक पसंद के लोगों को कुलपति बनाकर विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता नष्ट कर दी गई थी।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) May 9, 2020
जिस लालू प्रसाद के कारण लाखों मजदूरों, छात्रों और रोजगार देने ...... pic.twitter.com/OIjHwN2TyL
सुशील मोदी ने आगे कहा, 'लालू-राबड़ी राज में जहां जातीय नरसंहार और नक्सली उग्रवाद के चलते खेती-किसानी चौपट हुई, वहीं हत्या, लूट और उद्यमियों-व्यवसायियों से फिरौती वसूलने के लिए अपहरण की बढ़ती घटनाओं के चलते व्यापार ठप पड़ गया था. ग्रामीण और शहरी, दोनों अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर लालू प्रसाद ने हर वर्ग के लोगों की रोजी रोटी और उनको पलायन के लिए मजबूर किया.'
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इसके बाद एक बार फिर लालू प्रसाद यादव ने रविवार को एक ट्वीट किया, इसमें उन्होंने लिखा, 'बिहार सरकार अपना, नैतिक, प्राकृतिक, आर्थिक, तार्किक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, व्यवहारिक, न्यायिक, जनतांत्रिक और संवैधानिक चरित्र एवं संतुलन पूरी तरह खो चुकी है. लोकलाज तो कभी रही ही नहीं लेकिन जनादेश ड़कैती का तो सम्मान रख लेते. 15 बरस का हिसाब देने में कौनो दिक़्क़त बा?'
बिहार सरकार अपना,
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 10, 2020
नैतिक
प्राकृतिक
आर्थिक
तार्किक
मानसिक
शारीरिक
सामाजिक
आध्यात्मिक
व्यवहारिक
न्यायिक
जनतांत्रिक और
संवैधानिक
चरित्र एवं संतुलन पूरी तरह खो चुकी है। लोकलाज तो कभी रही ही नहीं लेकिन जनादेश ड़कैती का तो सम्मान रख लेते।
15 बरस का हिसाब देने में कौनो दिक़्क़त बा?
लालू के इस ट्वीट पर भी सुशील मोदी ने पलटवार किया और उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'लोकलाज का आदर्श तो तब स्थापित हुआ, जब चारा घोटाला में जेल जाने की नौबत आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तमाम वरिष्ठ नेताओं को धकिया कर अपनी पत्नी (राबड़ी देवी) को खड़ाऊं मुख्यमंत्री बनवा दिया. जिन्होंने संविधान, लोकलाज और राजधर्म की मर्यादाएं तोड़ीं, वे जेल से ज्ञान दे रहे हैं.'
लालू-राबड़ी राज में नैतिकता को ताक पर रख कर चारा-अलकतरा घोटाले किए गए। सड़क, बिजली, सिंचाई के विकास की उपेक्षा करना और अपहरण उद्योग को संरक्षण देना उनकी महान अार्थिक नीति का आधार था। लालूनानिक्स में कालेधन से रंगभेद नहीं किया जाता था।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) May 10, 2020
सामाजिक संतुलन का सूत्र वाक्य था- भूरा... pic.twitter.com/LDm2CxCRCj
मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'जिस राबड़ी देवी ने कांग्रेस के सभी विधायकों को मंत्री-पद देकर अपनी अल्पमत सरकार चलाई, वे दूसरों को बिकाऊ कह रही हैं. लालू परिवार इन दिनों इतनी हताशा में है कि शब्दकोश से खोज-खोज कर सरकार की आलोचना कर रहा है. कोरोना संकट के समय अगर राजद नकारात्मकता का लॉकडाउन कर सरकार के प्रयासों में सहयोग देता, गरीबों-मजदूरों का ज्यादा भला होता.' उन्होंने कहा, 'वे दिल्ली सरकार के झूठे प्रचार पर मुग्ध होते हैं, लेकिन बिहार की पहल दिखाई नहीं पड़ती.'
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