बिहार में एक बार फिर से राजनीति हलचलें तेज हो चुकी है. दरअसल, इस बार नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले नेता अशोक चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया है, जिसने राजनीति सरगर्मी बढ़ा दी है. हालांकि इस पोस्ट में उन्होंने किसी का नाम नहीं लिखा है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पोस्ट के जरिए अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधने की कोशिश की है.
अशोक चौधरी के पोस्ट पर मचा सियासी भूचाल
उन्होंने लिखा कि 'अशोक चौधरी ने ट्वीट कर लिखा कि 'बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए. एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना,
"छोड़ दीजिए"
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना,
छोड़ दीजिए।
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें,
*छोड़ दीजिए।*
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना,
*छोड़ दीजिए।*
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,
*छोड़ दीजिए।*
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना,
*छोड़ दीजिए।*
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना,
*छोड़ दीजिए।*
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना,
*छोड़ दीजिए।*
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना,
*छोड दीजिए।'
पोस्ट के बाद सीएम आवास से आया बुलावा
बता दें कि अशोक चौधरी ने जैसे ही यह पोस्ट किया, उन्हें तुरंत सीएम हाउस में बुला लिया गया. अशोक चौधरी भी आनन-फानन में सीएम नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे और दोनों के बीच करीब 1.30 घंटे तक यह मुलाकात चली.
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नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं अशोक चौधरी
हालांकि उनके इस पोस्ट पर हो रही राजनीति के बीच जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के लिए ऐसी भाषा का कोई भी इस्तेमाल कर निशाना नहीं साध सकता है. मामले में अशोक चौधरी ने कहा कि मैं नीतीश कुमार का अपना मानस पिता मानता हूं. उन्होंने मुझे पार्टी में काफी सम्मान दिया है. बिना सदन के सदस्य रहते हुए मुझे नीतीश कुमार ने दो-दो बार मंत्री बनाया. बिहार में ऐसा पहली बार हुआ, जब 1952 के बाद पहली बार किसी दलित नेता को बिना सदन में सदस्य रहते हुए मंत्री पद दिया गया.