बिहार में जातीय गणना के बाद जाति की सियासत हावी हो गई है. मंडल वर्सेज कमंडल की सियासत एक बार फिर बिहार की राजनीति में उफान पर है. गोवर्धन पूजा पर बीजेपी ने यदुवंश सम्मेलन क्या बुलाया, आरजेडी के खेमे में हलचल मच गई. मुस्लिम-यादव वोटबैंक से बिहार की सियासत में अपनी पैठ बनाने वाली आरजेडी के कोर वोट बैंक में जब बीजेपी ने सेंध लगाने की कोशिश की तो सियासी महाभारत शुरू हो गई. बीजेपी के यदुवंशी सम्मेलन पर सबसे पहला वार आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने किया और बीजेपी के सम्मेलन में शामिल होने वाले यादवों को कंस के लोग बता दिया.
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बीजेपी ने खेल दिया यादव कार्ड
दरअसल यूपी की तर्ज पर बिहार में बीजेपी अब यादव वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ओबीसी वोटबैंक को साध लिया और विपक्षी नेता देखते रह गए. बिहार में भी बीजेपी ने अब यही फॉर्मूला लगाया है. सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मंत्र पर चल रही बीजेपी ने इस बार लालू यादव का एमवाई यानी मुस्लिम-यादव समीकरण में सेंध लगाने की कवायद शुरू की है.
लालू की नींद उड़ाएगी बीजेपी?
बीजपी की नजर अब यादवों के 14 प्रतिशत से ज्यादा वोट पर है. पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटें एनडीए के खाते में आई थी. हालांकि इस दौरान बीजेपी को नीतीश कुमार का साथ मिला था, लेकिन 2024 के रण में बीजेपी इस बार अकेले उतरेगी. ऐसे में अगर यादव मतदाताओं का कुछ भी हिस्सा बीजेपी के साथ आया तो पार्टी एक साथ कई निशाना साध लेगी. यादव वोट से बीजेपी को फायदा होता, वहीं इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ेगा. जाहिर है आरजेडी को ए टू जेड की पार्टी बताने वाले डिप्टी सीएम तेजस्वी को भी इस बात से फर्क तो पड़ता है. भले ही तेजस्वी कह रहे हैं कि बीजेपी को इससे फायदा नहीं होगा.
बिहार में कृष्ण और कंस की लड़ाई
जाति की लड़ाई से शुरू हुई सियासत लालू परिवार और नित्यानंद राय तक पहुंच गई. लालू ने नित्यानंद पर हमला बोला और कहा कि बीजेपी ने उनको सीएम बनाने का लॉलीपाप दिया, लेकिन किया क्या? तो आरजेडी प्रमुख के बयान पर नित्यानंद भी चुप नहीं रहे और उन्होंने लालू परिवार को ही चैंलेज कर दिया. सियासी बयानबाजी के बीच बिहार की राजनीति गरमा गई है. बिहार की राजनीति में भगवान कृष्ण की एंट्री से एक तरफ जहां आरजेडी और बीजेपी आमने सामने हैं, तो कांग्रेस भी लालू के समर्थन में खड़ी हो गई. कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह तो यदुवंशी सम्मेलन को बीजेपी के लिए मुंगेरी लाल के हसीने सपने बता रही है.
लालू की नींद उड़ाएगी बीजेपी?
बहरहाल, पांच राज्यों के चुनाव के बीच बिहार में अगले साल चुनाव होगा, लेकिन चुनावी गणित का हिसाब किताब अभी से ही तेज हो गया है. इंडिया गठबंधन को एकजुट लालू ने केंद्र और बीजेपी के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोला है, तो बीजेपी लालू को उनकी ही बिसात पर मात देने की कोशिश कर रही है. बिहार बीजेपी ने नित्यानंद राय और राम कृपाल यादव के जरिए यादव वोटबैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश तेज कर दी है. नीतीश के पाला बदलने से बिहार में बीजेपी वोटबैंक में पिछड़ती दिख रही है. लिहाजा यादवों के जुटान के जरिये और एक साथ 21 हजार यादवों को पार्टी में शामिल करा कर बीजेपी ने लालू को चैलेंज किया है और यादव कोर्ड खेल दिया है.
HIGHLIGHTS
- बिहार में कृष्ण और कंस की लड़ाई
- M-Y समीकरण में सेंध लगेगी?
- यादव' वोट पर सियासी 'महाभारत'
Source : News State Bihar Jharkhand