बिहार (Bihar) में कोरोना संकट के बीच राजनीति ने जोर पकड़ा है. कोटा से बच्चों को वापस लाने और बिहार से बाहर फंसे मजदूरों को लेकर अब विपक्ष ने बिहार सरकार पर हमला तेज कर दिया है. बयानों के बाद अब तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अनशन की अपील की है. जी हां, 1 मई यानी मजदूर दिवस का ये कार्यक्रम है. मुख्य विपक्षी दल राजद का आरोप है कि कोरोना की व्याधि से दुनिया पीड़ित है. भारत भी पीड़ित है. पीड़ित बिहार की पीड़ा उनके सिर पर बढ़ती जा रही है.
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राष्ट्रीय जनता दल एवं प्रतिपक्ष के नेता व्यथित एवं चिंतित हैं कि आखिर बिहार सरकार इस तरह की अमानवीय व्यवहार क्यों कर रही है. 25 लाख से ऊपर मजदूर भारत के हर हिस्से में अनाथ की तरह पड़े हुए हैं. अच्छी शिक्षा की तलाश में बाहर गये विद्यार्थी बेवस होकर अपने साथ हो रहे व्यवहार से दुखित हैं. मजदूर कार्य के अभाव में भूख से बिल-बिला रहे हैं. मजदूरों एवं विद्यार्थियों के अभिभावक सरकार से निराश हैं असमय की बारिश एवं ओलावृष्टि ने ग्रामीणों के फसल को नष्ट कर दिया है.
पार्टी के प्रवक्ता मृत्युन्जय तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सहमति से कार्यक्रम तय किया गया है. आमजन भी अपने-अपने परिवार के साथ तथा देश के किसी भी हिस्से में फंसे बिहारी छात्र और अप्रवासी कामगार भाई भी अपने-अपने घरों और ठिकानों में आवश्यक शारीरिक दूरी बनाकर दो घंटे के अनशन में शामिल होकर निर्दयी शासन/प्रशासन को चेतावनी देने में शामिल हों.
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इधर, भाजपा राजद के इस कार्यक्रम को लेकर नाराज है. पार्टी के प्रवक्ता निखिल आनंद का मानना है कि आपदाकाल में कोरोना के वक्त में राजद को राजनीति सूझ रही है. बिहार सरकार जनता को मदद करने और काम करने में लगी है. अगर अनशन करना है तो झारखंड देर से सोकर जगा, उसके लिए राजद अनशन करे. पश्चिम बंगाल से पड़ोसी राज्यों में कोरोना के खतरे पर राजद अनशन करे.
फिलहाल बिहार में राजनीतिक दलों को इस संकट में भी राजनीतिक मुद्दा और राजनीतिक स्टंट दोनों मिल रहे हैं, जिसका ये राजनीति चमकाने में इस्तेमाल कर रहे हैं.
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