इस साल अक्टूबर-नवंबर में संभावित बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हमले तेज हो गए हैं. विधानसभा चुनाव की आहट के बाद राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच आरोप -प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है. जुबानी हमलों के साथ बिहार में पोस्टर वार एक एक बार फिर शुरू हो गया है. राजधानी पटना की सड़कों पर बुधवार को लालू यादव के खिलाफ फिर से नया पोस्टर लगाया गया है. बताया जा रहा यह पोस्टर सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा लगाया गया है. हालांकि पोस्टर में जारी करने वालों का कोई उल्लेख नहीं है.
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पटना की सड़कों पर बुधवार को लगे पोस्टर में पूर्व की राष्ट्रीय जनता दल की सरकार को 'पति-पत्नी की सरकार' बताते हुए निशाना साधा गया है. पोस्टर में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी के अलावा पूर्व सांसद शहाबुद्दीन और राजवल्लभ यादव की तस्वीरें भी लगी हैं. इन पोस्टर में राजद सरकार में हुई घटनाओं को दर्शाने की कोशिश की गई है. पोस्टर का शीर्षक 'पति-पत्नी की सरकार' दिया गया है. 15 सालों में अपहरण, दुष्कर्म, रंगदारी, घोटाला, गुंडागर्दी, हत्या और लूट का जिक्र पोस्टर में किया गया है.
पोस्टर में लिखा है, 'सौदागरों को लज्जा भी भला क्यों, उनके लिए व्यापार थी सरकार.' पोस्टर में आगे लिखा गया है, ' जनता कहे पुकार के, जब भी जी करता था, कुछ करूं, क्या करता? डर लगता था. कैसे उतारूं 'सुख' की ये गठरी, कहां धरूं डर लगता था.' पोस्टर के सबसे नीचे लिखा गया है, 'व्यवस्था खराब नहीं थी, बल्कि व्यवस्था ही नहीं थी.'
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इससे पहले 7 जून को भी पटना की सड़कों पर राजद नेताओं के खिलाफ पोस्टर लगाए गए थे. गृह मंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली के खिलाफ राजद ने कटोरा पीट प्रदर्शन किया तो पटना के चौक चौराहे पर इसका माखौल बनाते हुए पोस्टर लगे थे. पोस्टरों में जेल में बंद लालू प्रसाद, राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन और पूर्व विधायक राज बल्लभ को थाली पीटते दिखाया गया था. उल्लेखनीय है कि बिहार में इस साल के प्रारंभ से ही पोस्टर पॉलिटिक्स प्रारंभ है, जिसकी रफ्तार पिछले दिनों धीमी पड़ गई थी.
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