चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का कार्यक्रम 'बात बिहार की' बिहार में लांच होते ही पहले ही दिन हिट हो गया. गुरुवार शाम 5 बजे तक इस कार्यक्रम से जुड़ने वाले लोगों की संख्या तीन लाख 32 हजार को पार कर गई. इस कार्यक्रम से जुड़ने वालों की संख्या पहले ही दिन 3,32,270 हो गई. अररिया में 5129, अरवल में 1946, औरंगाबाद में 5481, बांका में 3107, बेगूसराय 8575, भागलपुर 7391, भोजपुर 7721, बक्सर 5953, गोपालगंज में 6884, जमुई में 3014, जहानाबाद में 3483, कैमूर में 3202, कटिहार में 4668, खगड़िया में 3751, किशनगंज में 2354, लखीसराय में 3142, मधेपुरा में 4160, मधुबनी में 10909, मुंगेर में 3323, मुजफ्फरपुर में 14443, नालंदा में 9168, नवादा में 4761, पश्चिम चंपारण में 7139.
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इसी तरह पटना में 27710, पूर्णिया में 6310, पूर्वी चंपारण में 11762, रोहताश में 7573, सहरसा में 4798, समस्तीपुर में 10931, सारण में 10636, शेखपुरा में 1874, शिवहर में 1511, सीतामढ़ी में 6863, सिवान में 9401, सुपौल में 4852, वैशाली में 9405 लोग इस कार्यक्रम से जुड़ गए हैं.
यह कार्यक्रम उन लोगों के पंजीकरण के साथ शुरू हुई, जो कार्यक्रम से जुड़कर, समान विचारधारा वाले लोगों के एक ऐसे समूह का हिस्सा बनना चाहते हैं, जो अगले 10-15 वर्षो में बिहार को देश के टॉप 10 राज्यों श्रेणी में लाकर उसे उसका सही सम्मान दिलाना चाहते हैं. अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग नीतियों वाली पार्टियों के लिए लुभावने नारे गढ़नेवाले चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर ने मंगलवार को ऐलान किया था कि वह कोई नया दल नहीं बनाने जा रहे हैं. वह सिर्फ बिहार में बदलाव के लिए काम करेंगे.
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पार्टी उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर ने जनता दल (युनाइटेड) से निकाले जाने के बावजूद पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को 'पितातुल्य' बताया है. यह बात दीगर है कि तुरंत बाद ही वह नीतीश सरकार के 15 साल के शासन की कमियां गिनाने लगे. प्रशांत ने जनादेश के विपरीत भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने पर नीतीश की आलोचना की थी. लेकिन जदयू ने पलटवार करते हुए कहा था कि प्रशांत किशोर की ऐसी हैसियत नहीं कि वह सवाल खड़े करें.
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