बिहार के गया में मानपुर पटवा टोली को आईआईटियन की नगरी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस आईआईटियन नगरी में कपड़े का व्यापार भी बड़े पैमाने पर होता है. यहां हजारों पावरलूम-हैंडलूम संचालित होता है. मशीनों की आवाज से यहां की सड़कें और गलियां गूंजती रहती है. हालांकि मानपुर पटवा टोली में साल भर कपड़े का कारोबार चलता है, लेकिन पितृपक्ष मेले के दौरान यहां की रौनक और बढ़ जाती है क्योंकि पितृपक्ष मेले में यहां आने वाले लाखों पिंडदानी कपड़े का दान करते हैं. ऐसे में यहां का कारोबार दोगुना हो जाता है. गया जी में पितृपक्ष मेला शुरू होने में चंद दिनों का समय रह गया है. ऐसे में मेले को देखते हुए मानपुर के पटवा टोली में दिन-रात वस्त्रों का निर्माण किया जा रहा है.
पटवा टोली में पितृपक्ष मेले की तैयारी
यहां मेले में हर साल लाखों पिंडदानी पहुंचते हैं. मेले में पितरों को वस्त्र अर्पित करने से लेकर पुरोहित पंडा को दान करने का विधान है. ऐसे में ये वस्त्र मानपुर के पटवा टोली से ही बनकर बाजारों में जाता है. यहां हर दिन हजारों की संख्या में गमछे का निर्माण होता है. तकरीबन 4 से 5 करोड़ का कारोबार पितृपक्ष महीने में हो जाता है. इस बार पटवा टोली में कपड़ा व्यापारियों को अच्छी कमाई की उम्मीद है, लेकिन कोरोना काल कोरोना कल में यहां के उद्योग को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था.
पितृपक्ष के दौरान 4-5 करोड़ का कारोबार
कम यात्री आने के चलते बिजनेस चौपट हो गया था, लेकिन अब हर इंडस्ट्री की तरह यहां का कपड़ा उद्योग भी मंदी के दौर से उबर रहा है. पटवा टोली में फिलहाल हजारों पावरलूम में दिन रात गमछे और चादर बनाए जा रहे हैं. व्यापारियों की मानें तो अब पितृपक्ष मेले में कपड़ों की इतनी बिक्री होती है कि डिमांड भी पूरी नहीं हो पाती, लेकिन इस बार कपड़ा कारोबारी दिन रात एक कर लोगों की डिमांड पूरा करने के लिए तैयारी में जुटे हैं. पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. इस बार मेले में 10 लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है. ऐसे में ना सिर्फ पटवा टोली बल्कि शासन-प्रशासन भी मेले की तैयारियों में जुटा है.
HIGHLIGHTS
- पटवा टोली में पितृपक्ष मेले की तैयारी
- कारखानों में तैयार हो रहे कपड़े
- पितरों के मोक्ष के लिए दान दिए जाते हैं कपड़े
Source : News State Bihar Jharkhand