गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा हुई और बिहार के सियासी हल्कों में अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। जद यू कोटा के मंत्रियों ने नीतीश कुमार को योग्य बताना शुरू किया. विपक्ष ने समर्थन दिया और बिना दावेदारी किये. नीतीश कुमार को सबसे योग्य बताकर राष्ट्रपति पद के रेस में ला दिया। 4 महीने पहले फरवरी महीने में अचानक नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बताया जाने लगा था और चर्चा यह थी कि नीतीश कुमार विपक्ष के उम्मीदवार होंगे। उस वक्त नीतीश कुमार ने खुद इन अफवाहों पर विराम लगा दिया था मगर अब जब राष्ट्रपति पद के चुनाव की घोषणा हुई है तो एक बार फिर इस चर्चा ने जोर पकड़ा है। सबसे पहले बिहार सरकार में जदयू कोटे से ग्रामीण कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने नीतीश कुमार का बखान करना शुरू किया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नीतीश कुमार में योग्यता क्या है मगर बार-बार इस बात को दोहराते भी रहे कि हम दावेदारी नहीं कर रहे हैं. हम नीतीश कुमार की योग्यता बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अंदर प्रतिभा की कमी नहीं,वे तो प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति बनने की रखते हैं योग्यता,मगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की जनता का सेवा करना चाहते हैं। जब तक जनता चाहेगी तब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेवा करेंगे।
जद यू से ये अकेले नही नीतीश केबिनेट के दूसरे मंत्री भी नीतीश कुमार को योग्य बताने की होड़ में हैं। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि पूरे देश मे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे कोई नेता नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि उससे कोई मतलब नहीं कि राष्ट्रपति के लिए संख्या का कोई मतलब नही है. किसी खास दल से भी मतलब नहीं है. कई बार ऐसे भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति बने हैं जिनके पास संख्या कम थी. राजनीति में कुछ भी संभव है। जल संसाधन मंत्री संजय झा भी नीतीश कुमार की योग्यता को लेकर कसीदे पढ़ रहे थे.
नीतीश कुमार वर्ष 1989 में बाढ़ से सांसद बने और लगातार पांच बार लोकसभा का चुनाव यहां से जीते... वर्ष 1990 में पहली बार केंद्र में मंत्री बने, वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में केंद्र में मंत्री बने, वाजपेई सरकार में वर्ष 2004 तक उन्होंने कई मंत्रालयों को संभाला ....नवंबर 2005 से 2013 के 9 महीने छोड़कर बिहार के मुख्यमंत्री हैं...
नीतीश कुमार की कैबिनेट में भाजपा कोटे के जो मंत्री हैं वो पसोपेश में हैं। नीतीश कुमार को नकार भी नही सकते और न ही पूर्ण समर्थन कर पा रहे हैं। कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह नीतीश कुमार को योग्य तो बता रहे मगर राष्ट्रपति की बात भविष्य की गोद मे छोड़ रहे हैं।
इधर बिहार में विपक्ष भी नीतीश कुमार की उम्मीदवारी को समर्थन देने के मूड में है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि परंपरा रही है कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार सर्वसम्मति से दिया जाता है, सहमति नहीं बनने पर सत्ता पक्ष अपना उम्मीदवार देती है और विपक्ष अपना उम्मीदवार देता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रपति के उम्मीदवार होते हैं तो इससे खुशी की बात कुछ नही हो सकती या। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रपति बनते हैं तो बिहार का नाम रोशन होगा।
उम्मीदवारी और योग्यता के बीच बिहार में नीतीश कुमार पर एक नई बहस चल रही है,ऐसी हवा चार महीने पहले उठ चूंकि है सो इस बार फिर चुनाव की घोषणा जे बाद उस पुराने चर्चा की हवा तेज चली है।
Source : News Nation Bureau