राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बन रहा विपक्ष का गठजोड़ एक के बाद एक टूटता जा रहा है. शिवसेना के बाद अब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विपक्ष को बड़ा झटका दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच मंगलवार को देखी गई दोस्ती और गर्मजोशी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी. प्रधानमंत्री देवघर हवाई अड्डे सहित कई परियोजनाओं के शुभारंभ के लिए राज्य में आए हुए थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है. जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन ने इससे संबंधित पत्र जारी करते हुए कहा कि आजादी के बाद पहली बार देश में किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त होने जा रहा है. ऐसे में विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि द्रौपदी मुर्मू को पार्टी का समर्थन दिया जाएगा.
18 जुलाई को होने वाले चुनाव में जेएमएम के विधायक और सांसद द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करेंगे. जाहिर है शिबू सोरेन के इस निर्देश के बाद जेएमएम के 30 विधायक और 3 सांसद द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करेंगे. इससे पहले जेएमएम के कई विधायकों ने भी बैठक के दौरान द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का प्रस्ताव रखा था. जेएमएम के इस निर्णय की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी. जेएमएम ने ये फैसला ऐसे समय पर किया, जब UPA उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के झारखंड आने का कार्यक्रम तय है. कांग्रेस विधायक और सांसदों के साथ उनकी बैठक होनी है.
द्रौपदी मुर्मू ने नाम की घोषणा के साथ ही होने लगी थी सुगबुगाहट
राष्ट्रपति चुनाव में झामुमो ने यूपीए के किसी दिशा-निर्देश या गठबंधन धर्म को मानने से साफ इनकार कर दिया. झामुमो के सामने भावी राजनीति खड़ी है. संथाल आदिवासी महिला उम्मीदवार छोड़कर झामुमो किसी गैर आदिवासी पुरुष उम्मीदवार को वोट देकर अपनी फजीहत नहीं करा सकता है. झामुमो के अंदर ही इसे लेकर एनडीए के उम्मीदवार की घोषणा के दिन से ही सुगबुगाहट शुरू हो गयी थी. झामुमो का बड़ा धड़ा द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट करने का मन बना चुका था. द्रौपदी मुर्मू जब स्वयं चलकर झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के पास समर्थन मांगने पहुंच गयीं और वहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनकी अगवानी की, उसी दिन राजनीतिक महकमे में ये संकेत मिल चुका था कि झामुमो चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करेगा.
सोरेन परिवार के अच्छे संबंध भी वजह
NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. द्रौपदी मुर्मू के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन परिवार के अच्छे संबंध भी इसकी प्रमुख वजह है. ध्यान रहे कि झारखंड की राजनीति में आदिवासी समाज हमेशा से ही केंद्र बिंदु में रहा है. ऐसे में आदिवासी समाज के हित की बात करने वाले और आदिवासी समाज के विकास के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ने वाले जेएमएम का द्रौपदी मुर्मू के साथ जाना तय था. अब ये देखना होगा कि इस निर्णय का गठबंधन सरकार पर कोई असर पड़ता है या नहीं. प्रदेश कांग्रेस के नेता भी ये मान कर चल रहे थे कि जेएमएम द्रौपदी मुर्मू का ही समर्थन करेगा.
कांग्रेस के पास क्या है विकल्प ?
झारखंड में झामुमो और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है. ऐसे में उम्मीद थी कि झामुमो विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. करीब एक महीने में ये दूसरा मौका है, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कांग्रेस को झटका दिया है. राज्यसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एकतरफा निर्णय करते हुए अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी थी. जबकि इस सीट पर कांग्रेस अपनी दावेदारी जता रही थी. अब कांग्रेस के पास सीमित विकल्प है. वो झामुमो के फैसले पर मौन धारण कर उसे स्वीकार कर ले. कांग्रेस नेताओं ने पहले ही सफाई वाला बयान देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि उसका गठबंधन सरकार चलाने के लिए हुआ है. राष्ट्रपति चुनाव में किसे वोट करना है, ये झामुमो को अपनी पसंद और फैसला हो सकता है. कांग्रेस इस मामले में कोई बड़ा या कड़ा फैसला लेने की स्थिति में बिल्कुल नहीं है कि इस मुद्दे पर समर्थन वापस ले ले. भविष्य में भी कांग्रेस उसे यूपीए सदस्य मानकर साथ चलती रहेगी.
Source : Naresh Kumar Bisen