बिहार में मंडी कानून वापस लाने को लेकर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है. साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर ये चेतावनी दी है कि अगर इसे वापस से लागु नहीं किया गया तो बड़े स्तर पर आंदोलन होगा. बता दें कि, बिहार सरकार ने 2006 में इसे खत्म कर दिया था. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने पहले इसकी मांग की थी. उन्होंने भी मंडी कानून फिर से लागू करने के लिए विभाग को पीत पत्र लिखा था.
मंडी कानून को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत अब सामने आ गए हैं. राकेश टिकैत ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर मंडी पुनः वापस किए जाने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित पत्र लिखा है. इस पत्र में राकेश टिकैत ने कहां है कि बिहार में पिछले 15 से 16 वर्षों में मंडिया बंद है. जिसमें वहां के किसानों को ना तो फसल बेचने का कोई प्लेटफार्म मिल पाता है और ना ही फसल का भाव प्रभावी रूप से मिल पा रहा है. बिहार का किसान अपने द्वारा पैदा किए गए खाद्यान्न को दलालों के माध्यम से लागत से कम मूल्य पर बेचने को मजबूर हैं. बिहार के किसानो की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है. इसलिए मुख्यमंत्री से मांग है कि बिहार में पुनः मंडी कानून लागू करें. अन्यथा किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए बिहार में भी एक बड़ा आंदोलन हम लोग करने को मजबूर हैं.
क्यों जरूरी है मंडी कानून
बिहार में जब मंडियां खत्म हुईं धान, गेहूं, मक्का का भाव गिरता चला गया. घाटे का कारोबार बढ़ता गया. सरकार के पास कोई मैकेनिज्म नहीं है कि जिससे जाना जाए कि हो क्या रहा है, जबकि सरकार का यह दायित्व है कि वह इसका पता लगाए कि किसानों को उपज का सही मूल्य नहीं मिल रहा है तो क्यों नहीं मिल रहा है. यह प्राइमरी ड्यूटी है. सरकार के मंत्री या अफसर इसे कैसे जानेंगे. कोई बेसलाइन डेटा होना चाहिए. धीरे-धीरे आज यह हालत हो गई है कि किसानों को अनाज की कीमत मिनिमम से बहुत कम मिल रहा है. जिससे रोजगार का संकट भी पैदा हुआ है.
Source : News State Bihar Jharkhand