बिहार के 17 शेल्टर होम में बच्चों से यौन शोषण और प्रताड़ना के मामलों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच पूरी कर ली है और हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दिया है. मामले में सीबीआई ने 25 जिलाधिकारियों और 71 अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की है. अब जल्द ही इन अधिकारियों की गाज गिरने वाली है. इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने इन सभी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए बिहार के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. जिसमें अधिकारियों की घोर लापरवाही को उजागर किया गया है. साथ ही सीबीआई ने 52 निजी व्यक्तियों और एनजीओ को भी तत्काल प्रभाव से ब्लैकलिस्ट कर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने की अनुशंसा की है.
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सोमवार को सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न के 17 मामलों में जांच पूरी हो गई है और जिलाधिकारियों सहित संलिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट दायर कर दी गई है. उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने कहा कि चार प्रारंभिक जांच में किसी आपराधिक कृत्य को साबित करने वाला साक्ष्य नहीं मिला और इसलिए कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. सीबीआई ने कहा कि बिहार सरकार से आग्रह किया गया है कि उन अफसरों पर विभागीय कार्रवाई करे और सीबीआई के प्रारूप में जांच परिणाम मुहैया कर संबंधित एनजीओ का पंजीकरण रद्द करने और उन्हें काली सूची में डालने के लिए कहा गया है.
इन अफसरों पर होगी कार्रवाई
- गया- 2 डीएम, 1 सरकारी अधिकारी और 13 चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी के सदस्य.
- भागलपुर- 2 डीएम, 3 सरकारी अधिकारी और 6 प्राइवेट व्यक्ति.
- मुंगेर- 1 डीएम और 2 प्राइवेट लोग.
- पटना (शार्ट स्टे होम)- 1 डीएम, 2 सरकारी अधिकारी और 3 संस्था.
- पटना (कौशल कुटीर)- एक सरकारी अधिकारी.
- मोतिहारी (चिल्ड्रन होम फोर ब्वायज)- 2 डीएम.
- मोतीहारी (शार्ट स्टे होम)- 5 डीएम, 5 सरकारी अधिकार और 1 एनजीओ सखी.
- कैमूर- 7 डीएम, 11 सरकारी अधिकारी.
- मधेपुरा- 1 डीएम और 5 सरकारी अधिकारी.
- अररिया- 1 डीएम और 5 सरकारी अधिकारी.
- मुंगेर- यहां अधिकारियों को इंस्पेक्शन के संबंध में विशेष निर्देश दिए जाने की जरूरत.
Source : News Nation Bureau