बिहार के कई जिलों में इस बार औसत से भी कम बारिश हुई है, लेकिन बाढ़ की विभीषिका की तस्वीर डराने लगी है. नेपाल में हुई मूसलाधार बारिश के बाद से ही नदियां उफान है और आसमानी आफत से लोगों का आशियाना उजड़ने लगा है. पूर्णिया में बाढ़ के बाद घरों को तोड़ने की तस्वीर और जनता के पलायन की तकदीर सालों से नहीं बदली है. पूर्णिया के अमौर प्रखंड के 22 पंचायत के 50 से ज्यादा गांव बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. एक साथ परमान, कनकई और महानंदा नदी में आए उफान से हजारों की आबादी प्रभावित हुई है. कई घरों में पानी घुस आया है तो कई सड़क बाढ़ के कारण टूट चुकी हैं. बची हुई सड़कें भी बाढ़ के आगोश में जाने को तैयार है. लिहाजा प्रखंड मुख्यालय से लोगों का संपर्क टूट चुका है. अमौर के बिशनपुर पंचायत में बाढ़ ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. एक तो प्रकृति की मार और दूसरी ओर प्रशासन की अनदेखी से जनता लाचार... ना तो लोगों को कोई मदद मुहैया कराई गई है और ना ही उनके सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम किए गए हैं.
उफान पर नदियां
नेपाल में हुई बारिश का असर सिर्फ पूर्णिया में ही नहीं बल्कि गोपालगंज में भी देखने को मिल रहा है. गोपालगंज में गंडक नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. लिहाजा वाल्मीकिनगर बराज से लगातार पानी का डिस्चार्ज हो रहा है. ऐसे में निचले इलाकों में बसे गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. हालांकि यहां बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन की तैयारी पूरी है. डीएम की मानें तो एनडीआरएफ की टीम बुला ली गयी है और कम्युनिटी किचेन खोलने के लिए भी पूरा इंतजाम हो चुका है. एहतियातन तटबंधों पर अलर्ट जारी कर दिया गया है.
आशियानों ने ली जलसमाधि
नदियों का रौद्र रूप भागलपुर में भी दिख रहा है. जहां जीवनदायिनी गंगा और कोसी अपने शबाब पर है. उफान पर आई दोनों नदियां गांवों को बहाने पर आमादा है तो वहीं गंगा किनारे के गांव में कटाव शुरू हो गया है. सबौर प्रखंड के बाबूपुर गांव में गंगा का रूप विकराल देखने को मिल रहा है. तेज लहरें गांव को काटने के लिए तैयार हैं. अब तक कई एकड़ खेतिहर जमीन गंगा की जद में समा चुकी है. किसानों का रोजगार छिन चुका है और लोग शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
जनता की गुहार
झारखंड के साहिबगंज में भी उत्तर वाहिनी गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है. जिसको लेकर जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है. वहीं, बाढ़ से निपटने के लिए डीसी राम निवास यादव ने जिला प्रशासन की ओर से तैयारी की बिंदुओं पर चर्चा की. बहरहाल, बिहार में बाढ़ से हाहाकार की तस्वीरें हर साल देखने को मिलती है. बावजूद कटाव रोधी कार्य नहीं किया जाता. हर साल लोगों के आशियाने बह जाते हैं. गांव के गांव जलसमाधि ले लेते हैं और शासन-प्रशासन की अनदेखी का दंश झेलती है जनता.
HIGHLIGHTS
- उफान पर नदियां... मचा हाहाकार
- आशियानों ने ली जलसमाधि
- जनता की गुहार... सुनो सरकार
Source : News State Bihar Jharkhand