अपरहण के बाद दानापुर के मासूम तुषार की बेरहमी से हत्या कर दी गई. एक तरफ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं तो आरजेडी ने मासूम की हत्या को भी राजनीतिक रंग दे दिया है. एक मासूम का मर्डर कर दिया गया. मासूम की चिता की लपटें शांत भी नहीं हुई और बिहार में इस मामले पर सियासत शुरू हो गई. मासूम की मौत पर भी ओछी राजनीति करने से बाज नहीं आये. भाई वीरेंद्र, आरजेडी का वो चेहरा हैं जो बयानवीरों में जाने जाते हैं. तुषार हत्याकांड को भी आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने राजनीतिक रंग दे दिया. वीरेंद्र ने दावा किया कि जिस जगह पर वारदात हुई वो जगह उनके विधानसभा क्षेत्र में आती है. अपराध की.. अपराधी की..सबकी खबर है भाई बीरेंद्र को, लेकिन तुषार की किडपैन की खबर लेने में शायद वो चूक गये. अब जब चूक गये तो उन्हें साजिश नजर आई. साजिश भी तब नजर आई जब सरकार पर सुरक्षा को लेकर सवाल उठे.
भाई वीरेंद्र का दावा
अपराधियों की नब्ज टटोलने में भाई वीरेंद्र का जवाब नहीं है. ये दावा कर रहे हैं कि तुषार हत्याकांड का आरोपी बीजेपी का सदस्य निकलेगा और भूत-भविष्य जानने वाले भाई वीरेंद्र भला इस खबर से चूक कैसे गये कि तुषार को किसी ने उठा लिया. बीजेपी वाले भी भाई वीरेंद्र से कम नहीं ठहरे. तुषार हत्याकांड का ये मुद्दा किसी परिवार का ढांढस बांधने से ज्यादा इनके लिए सरकार को घेरने का मौका मिल गया है.
पुलिस की नाकामी
तुषार हत्याकांड में सियासत के बीच सवाल राज्य के दुरुस्त सुरक्षा के दावे पर भी उठ रहे हैं. वैसे तो अपराधियों की गिरफ्त तक पहुंचने में 4 दिन का वक्त कम नहीं होता है. किडनैपर की चंगुल से मासूम को बचाने में.. वो भी तब..जब हर पल की घटना का अपडेट अपराधी रख रहा है, लेकिन पुलिस बेखबर है. अपराधी एक के बाद एक वॉइस मैसेज कर फिरौती की मांग रहा होता है, लेकिन पुलिस फोन सर्विलांस के जरिये भी किडपैनर तक नहीं पहुंच पाई है और पुलिस की इसी नाकामयाबी ने मासूम की जान ले ली.
HIGHLIGHTS
- 16 मार्च को हुआ था तुषार का अपहरण
- अपहरण के तुरंत बाद कर दी गई थी हत्या
- हत्या करने के बाद भी हत्यारोपी मांग रहा था फिरौती
- तीन दिन तक पुलिस ने तुषार को ढूढ़ना तक मुनासिब नहीं समझा
Source : News State Bihar Jharkhand