RJD के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका देते हुए 1995 में उनके द्वारा कारित किए गए डबल मर्डर केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है. बता दें कि प्रभुनाथ को निचली अदालत और बिहार के हाईकोर्ट द्वारा मामले में बरी कर दिया गया था लेकिन पीड़ितों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब सुप्रीम कोर्ट ने प्रभुनाथ को उम्र कैद की सजा के साथ-साथ मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए व घायलों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने का भी आदेश पारित किया है. प्रभुनाथ को वर्ष 1995 में मशरख में डबल मर्डर के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
...फिर तो भगवान ही मालिक!
मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने बड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि प्रस्तुत मामले में सिर्फ दो ही विकल्प दोषी के लिए हमारे सामने हैं. या तो हम इन्हें जीवन दें या फिर मौत. उसके बाद जस्टिस विक्रम नाथ ने सवाल किया कि प्रभुनाथ सिंह की उम्र कितनी है? उनके अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि उनकी उम्र 70 वर्ष है. फिर जस्टिस ने टिप्पणी की अब तो भगवान ही मालिक हैं. ऐसा केस हमने अभी तक नहीं देखा था.
निचली अदालत ने किया था बरी
बताते चलें कि मामले में पटना की एक कोर्ट द्वारा 2012 में प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया गया था और पटना हाईकोर्ट द्वारा भी 2012 में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया था. पीड़ित के भाई द्वारा मामले में सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट और निचली अदालक के फैसले को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के बाद 18 अगस्त 2023 को प्रभुनाथ को दोषी करार दिया था और आज उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. बता दें कि प्रभुनाथ सिंह मौजूदा समय में विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में झारखंड के हजारीबाग केंद्रीय कारागार में उम्रकैद की ही सजा काट रहे हैं.
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वोट नहीं देने पर की थी हत्या
सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रभुनाथ को आज जिस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी वो मामला 1995 का है. 1995 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान छपरा के मशरख प्रखंड में राजेंद्र राय (18 वर्ष) और दरोगा राय (47 वर्ष) की पोलिंग पूथ के समीप सिर्फ इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन दोनों ने प्रभुनाथ के कहने के मुताबिक वोटिंग नहीं की थी.
चुनाव जीतना बना अशोक सिंह की हत्या का कारण
बताते चलें कि इसी चुनाव में प्रभुनाथ ने अशोक सिंह को भी जान से मारने की धमकी दी थी. प्रभुनाथ चुनाव हार गए थे और उन्हें अशोक सिंह ने ही हराया था लेकिन अशोक सिंह की उनकी जीत के 90वें दिन उनकी हत्या कर दी गई थी. अशोक सिंह की हत्या का भी दोषी प्रभुनाथ को कोर्ट ने पाया था और वो उनकी हत्या के दोष में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. अशोक सिंह की हत्या 03 जुलाई 1995 को की गई थी. अशोक सिंह की मौत के बाद उनके भाई तारकेश्वर सिंह चुनाव जीते थे.
प्रभुनाथ सिंह का राजनीतिक सफर
-प्रभुनाथ सिंह 1985 में पहली बार मशरख से निर्दलीय विधायक बने
-1990 में RJD से विधायक बने
-1998, 1999, 2004 और 2013 में महाराजगंज से लोकसभा का चुनाव जीते
HIGHLIGHTS
- प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
- मशरख डबल मर्डर केस में सुनाई सजा
- दो लोगों की 1995 के विधानसभा चुनाव में की थी हत्या
- वोट ना देने पर की गई थी हत्या
- निचली अदालत और पटना हाईकोर्ट ने कर दिया था प्रभुनाथ को बरी
Source : News State Bihar Jharkhand