बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है, उससे पहले प्रदेश में गमछे पर पॉलिटिक्स शुरू हो चुकी है. दरअसल, 10 सितंबर को तेजस्वी यादव कार्यकर्ता संवाद यात्रा पर निकलने वाले हैं. इससे पहले उन्होंने आरजेडी कार्यकर्ताओं को हरे गमछे को लेकर जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं. तेजस्वी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वह हरे गमछे की जगह हरी टोपी और बैज लगाए. अब उनके इस निर्देश के बाद से प्रदेश में हरे गमछे पर राजनीति हो रही है. राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस पर कई तरह के कयास लगा रहे हैं. कुछ इसे जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की सियासत का असर बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि तेजस्वी अपनी पार्टी की छवि को साफ करने की कोशिश कर रहे हैं.
बिहार में क्यों हो रही है 'गमछा पॉलिटिक्स'?
इससे पहले आरजेडी की सभाओं में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सिर पर या गले में हरा गमछा बांधे या रखे हुए देखा जाता रहा है. यह एक तरह से आरजेडी की पहचान बन चुकी है, लेकिन तेजस्वी पार्टी की पुरानी छवि को बदलना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिया है. विपक्ष भी कई बार आरजेडी नेताओं पर गमछे पहनकर गुंडागर्दी करने का आरोप लगा चुके हैं. दरअसल, प्रदेश में आरजेडी की जंगलराज वाली छवि बनी हुई है. जिसे लेकर विपक्ष लगातार लालू यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल पर सवाल उठाते रहते हैं और इसे जंगलराज बताते हैं. चुनावों से पहले तेजस्वी 16 साल के शासनकाल में आरजेडी सरकार से हुई गलतियों पर भी माफी मांग चुके हैं. अब अपनी पार्टी की छवि को बदलने के लिए तेजस्वी लगातार प्रयास कर रहे हैं.
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पार्टी की छवि बदलने में जुटे हैं तेजस्वी यादव
पार्टी की जंगलराज की छवि के साथ ही तेजस्वी पार्टी की परिवारवाद की छवि को भी बदलना चाहते हैं. इसलिए आरजेडी ने मीसा भारती के सांसद होने के बाद भी अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बनाया. अब देखना यह होगा कि तेजस्वी के इन कोशिशों का नतीजा चुनाव में मिलता है या नहीं. 2024 लोकसभा चुनावों के दौरान तेजस्वी ने 300 से ज्यादा चुनावी रैलियां की, बावजूद इसके 23 सीटों में से पार्टी को सिर्फ 4 सीटों पर ही जीत हासिल हुई. पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा चुनावों में काफी निराशाजनक रहा. इसलिए तेजस्वी विधानसभा चुनाव में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं.