बिहार सरकार स्वास्थ्य विभाग में चाहे लाख सुधार के दावे कर लें, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं. मधेपुरा के सदर अस्पताल का हाल के इन दिनों खस्ताहाल है, जहां साफ सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. बता दें कि सदर अस्पताल के शौचालय की साफ-सफाई का आलम यह है कि मल-मूत्र बाहर तक बहते रहता है. इससे उठ रही दुर्गंध से मरीजों का अस्पताल में इलाज कराना भी मुश्किल हो जाता है. इतना ही नहीं सदर अस्पताल स्थित इमरजेंसी वार्ड, महिला वार्ड, सर्जिकल वार्ड, प्रसव केंद्र आदि में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा है. मरीजों का कहना है कि इतनी गंदगी होने के बावजूद अस्पताल में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव तक नहीं किया जाता है.
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इतना ही नहीं महज तीन चार दिन पहले अस्पताल परिसर में सुलभ शौचालय व स्नानागार का उद्घाटन अस्पताल के वरीय अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया है. इसमें भी सफ़ाई का आलम यह है कि अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मरीज और उनके परिजन वहां नहीं जाते हैं. सदर अस्पताल में रोज सैकड़ों मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. गंदगी होने से उन्हें काफी परेशानी होती है. दो दिन पूर्व गढ़िया निवासी पिंटू यादव ने अस्पताल में मां को इलाज के लिए महिला वार्ड में भर्ती कराया था.
वार्ड में बने शौचालय से उठ रही दुर्गंध के कारण अस्पताल से नाम कटवा कर इलाज कराने प्राइवेट अस्पताल चले गए. इमरजेंसी वार्ड में एडमिट मरीजों का कहना है कि यहां के शौचालय की सफाई नहीं होने के कारण दुर्गंध से जीना मुहाल हो गया है. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा है. साफ सफ़ाई करने के लिए नियुक्त एनजीओ के सुपरवाईजार प्रमोद कुमार ने बताया कि इसमें सफ़ाई कर्मी की कोई गलती नहीं है. सुलभ शौचालय का उद्घाटन तो यहां किया गया, लेकिन उसमें पानी की व्यवस्था ही नहीं की गयी है. यहां के अधिकारियों को भी इस बात की सूचना दी गई है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. ये मैनेजमेंट की गलती है.
HIGHLIGHTS
. अस्पताल दे रहा है बीमारियों को आमंत्रण
. सफाई के नाम पर हो रही सिर्फ खानापूर्ति
Source : News State Bihar Jharkhand