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अयोध्या नगरी पहुंचे सम्राट चौधरी, मुंडवाया सिर, फिर भगवान श्री राम को मुरेठा किया समर्पित

करीब 2 साल बाद बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या पहुंचकर अपना मुरेठा उतारा. 3 जुलाई की सुबह डिप्टी सीएम ने पहले सरयू नदी में डुबकी लगाई और उसके बाद अपना मुरेठा उतारकर इसे भगवान श्री राम के चरणों में समर्पित कर दिया.

Updated on: 03 Jul 2024, 12:57 PM

highlights

  • अयोध्या पहुंच सरयू नदी में सम्राट चौधरी ने लगाई डुबकी
  • मुरेठा उतारकर भगवान राम के चरणों में किया समर्पित
  • 22-23 महीने से पहन रखा था मुरेठा

Patna:

बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने करीब 22-23 महीने बाद बुधवार यानी 3 जुलाई को भगवान राम की नगरी पहुंचकर अपनी पगड़ी उतार ली. सबसे पहले डिप्टी सीएम ने सरयू नदी में डुबकी लगाई. जिसके बाद अपना मुरेठा उतारकर भगवान श्री राम के चरणों में समर्पित कर दिया. 28 जून को अपने घर में पूजा के बाद सम्राट चौधरी ने इसकी जानकारी दी थी कि वह अयोध्या पहुंचकर अपना मुरेठा उतारेंगे. भाजपा नेता 2 जुलाई को अयोध्या पहुंचे और 3 जुलाई की सुबह-सुबह सरयू नदी में डुबकी लगाई. पगड़ी उतारने और सिर मुंडवाने के बाद सम्राट चौधरी ने कहा कि 'भगवान राम को समर्पण करना था और आज अयोध्या नगरी में आकर सरयू नदी में स्नान करके ये मुरेठा जो हमने 22-23 महीने से बांध रखा था, उसे भगवान राम के चरणों में समर्पित करूंगा.' 

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नीतीश कुमार को लेकर खाई थी कसम

आपको बता दें कि सम्राट चौधरी ने बिहार में 2022 में जब महागठबंधन की सरकार बनी थी, उस समय यह कसम खाई थी कि जब तक वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कुर्सी से नहीं हटा देंगे, तब तक अपने सिर पर मुरेठा बांधे रहेंगे. वो इस पगड़ी को तब ही हटाएंगे, जब नीतीश कुर्सी से हटेंगे. वहीं, जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में फिर से शामिल हो गए. जिसके बाद से वह नीतीश कुमार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते नजर आ रहे हैं.

भगवान राम के चरणों में मुरठा किया समर्पित

एनडीए ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पहले ही घोषणा कर चुकी है कि उनका सीएम चेहरा नीतीश कुमार होंगे. सम्राट चौधरी कई बार भाजपा को अपनी मां भी बता चुके हैं. इन सबके बीच 28 जून को पटना में ही भाजपा नेता ने मुरेठा खोलने की घोषणा कर दी थी. 3 जुलाई को अयोध्या पहुंचकर सम्राट चौधरी ने पहले सरयू नदी में स्नान किया और फिर अपना मुरेठा खोलकर इसे भगवान श्री राम के चरणों में समर्पित कर दिया.