आज 21वीं सदी का समय चल रहा है लेकिन आज भी पंचायतों और सरपंचगिरी बखूबी जारी है और वह भी अन्याय करने के लिए. ताजा मामले में भागलपुर में एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ पहले तो कई बार रेप किया जाता है और जब लड़की गर्भवती हो जाती है तो उसके पिता से सरपंच एक लाख रुपए लेकर समझौता करने को कहता है और गर्भपात कराने के लिए भी कहता है. हालांकि, पुलिस के संज्ञान में मामला आने के बाद पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाता है. नाबालिग लड़की के साथ रेप की वारदात उसे शादी का झांसा देकर किया जाता है. लड़की के गर्भवती होने की जानकारी उसके माता-पिता को तब होती है जब पेट दर्द की शिकायत पर लड़की को उसके माता-पिता सरकारी अस्पताल इलाज कराने के लिए ले गए. डॉक्टरों द्वारा बताया गया कि लड़की 6 माह की गर्भवती है.
21 साल है आरोपी
आरोपी की पहचान 21 साल के अमित शाह के रूप में हुई है। अमित शाह बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है और मजदूरी भी करता है. पीड़िता के मुताबिक, अमित शाह ने उसके साथ शादी करने का झांसा देकर कई बार सम्बन्धन बनाए और जब वह गर्भवती हो गई तो शादी करने से इन्कार कर दिया. वहीं, पीड़िता के पिता ने कहा कि जब वह मामले को लेकर मुखिया और सरपंच के पास गए तो उन्हें एक लाख रुपए आरोपी से लेकर अपनी बेटी का गर्भपात कराने के लिए कहा गयाय पीड़िता के पिता ने कहा कि मैं मजदूरी करता हूं. दिनभर घर से बाहर रहता हूं. मैंने यह मुद्दा गांव के मुखिया और सरपंच के सामने रखा. उन्होंने मुझे न्याय देने की बजाय कहा कि बेची का गर्भपात करा लो और एक लाख रुपए बदले में आरोपी से ले लो. मैंने थाने में शिकायत दर्ज कराई है, अब मुझे न्याय चाहिए.
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क्या कहना है पुलिस का?
मामले को लेकर डीएसपी सुनील कुमार ने कहा कि नाबालिग लड़की के पिता के द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर शिकायत दर्ज कर ली गई है और आरोपी अमित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. बच्ची का मेडिकल कराया जाएगा और फिर मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआर.पी.सी. 164 के तहत बयान दर्ज कराया जाएगा. बाकी कार्रवाई गुणदोष के आधार पर की जाएगी.
क्या होता है 164 सीआर.पी.सी. का बयान
सीआर.पी.सी. 164 का बयान पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष दिया जाता है. बयान देने के समय मजिस्ट्रेट के केबिन में पीड़िता को ले जाया जाता है. केबिन में पीड़िता और मजिस्ट्रेट के अलावा कोई तीसरा शख्स नहीं होता. पीड़िता द्वारा घटना के बारे में बताया जाता है और मजिस्ट्रेट स्वयं उसका बयान दर्ज करता है तथा शीलबंद लिफाफे में उसके बयान को पैक कर देता है और संबंधित कोर्ट में देता है. अगर 164 सीआर.पी.सी. के बयान में पीड़िता द्वारा घटना का समर्थन किया जाता है तो आरोपी को जमानत मिलने में बहुत समय लग जाता है वहीं, अगर घटना का समर्थन नहीं किया जाता और एफआईआर के कथनों के अनुसार बयान नहीं दिया जाता तो उसका लाभ आरोपी को मिल जाता है और उसे जल्द ही जमानत मिल जाती है. 164 सीआर.पी.सी. का बयान पीड़िता द्वारा स्वतंत्र होकर दिया जाता है. किसी भी आपराधिक घटना के मामले में 164 सीआर.पी.सी. के तहत पीड़ित द्वारा दिया गया बयान ही लगभग सबकुछ होता है.
HIGHLIGHTS
- नाबालिग लड़की से शादी का झांसा देकर किया रेप
- सरपंच ने अस्मत की कीमत लगाई एक लाख
- फैसला करने का भी बनाया दवाब
- पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर भेजा जेल
Source : News State Bihar Jharkhand