Brij Bihari Prasad:1998 में पटना के आईजीआईएमएस हॉस्पिटल में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई. इस हत्या में मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी, सूरजभान सिंह समेत कई लोगों का नाम सामने आता है. वहीं, बुधवार को हत्याकांड पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं, सूरजभान सिंह और राजन तिवारी समेत 6 लोगों को सबूत के आभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया है.
मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को उम्रकैद की सजा
सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को ही बरकरार रखा है. 2014 में फैसला सुनाते हुए पटना हाई कोर्ट ने 8 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था. जिसके बाद बृज प्रसाद के परिवारवालों ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी. बता दें कि कोर्ट ने दोषी मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को 15 दिन के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है. यह फैसला जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने सुनाया है.
15 दिन के अंदर करना है सेरेंडर
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बृज बिहारी प्रसाद के घरवालों की भी प्रतिक्रिया आई है. बृज बिहारी की बेटी रागिनी गुप्ता ने कहा कि कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. दो आरोपियों को सजा मिली है, वहीं अन्य अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया है. आगे रागिनी गुप्ता ने कहा कि आज देवी मां का आगमन हुआ है और झूठ पर सच की जीत हुई है.
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बिहार में कभी था बृज बिहारी का दबदबा
आपको बता दें कि बृज बिहारी अपने कॉलेज के दिनों से राजनीति से जुड़ गए. 1990 में लालू यादव ने जनता दल से पूर्वी चंपारण की आदापुर सीट से टिकट दिया. इस चुनाव में बृज बिहारी चुनाव जीत गए. इस बीच बिहार में सर्वण और दलित नेता उभर रहे थे. आनंद सिंह खुद को सर्वण नेता बताते थे और लालू यादव दलितों का. 1993 में जब दोनों आमने-सामने आए तो वैशाली से आनंद सिंह ने अपनी पत्नी को लालू यादव के उम्मीदवार के सामने उतार दिया.
1998 में हत्याकांड को दिया अंजाम
इस चुनाव में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद की जीत हुई. इस बीच आनंद मोहन के दाहिने हाथ माने जाने वाले छोटन शुक्ला की हत्या करा दी गई. इसके पीछे बृज बिहारी का नाम सामने आया. छोटन शुक्ला की हत्या के बाद बिहार में एक बार फिर लालू यादव की ताकत बढ़ गई और 1995 में लालू फिर से मुख्यमंत्री बने और इस बार लालू ने बृज बिहारी को बड़ा पद देते हुए अपने मंत्रालय में जगह दी. इस बीच 1998 में इलाज के लिए आईजीआईएमएस हॉस्पिटल पहुंचे बृज बिहारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई.