हादसों की भारतीय रेल, आखिर कब तक बेपटरी होती रहेंगी ट्रेनें

दो दिन पहले ही रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा था कि यह वर्ष भारतीय रेलवे (Indian Rail) के इतिहास में अब का सबसे सुरक्षित रहा है.

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Drigraj Madheshia
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हादसों की भारतीय रेल, आखिर कब तक बेपटरी होती रहेंगी ट्रेनें

दिल्ली आ रही सीमांचल एक्सप्रेस के 11 डिब्बे पटरी से उतर गए. (ANI)

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दो दिन पहले ही रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा था कि यह वर्ष भारतीय रेलवे (Indian Rail) के इतिहास में अब का सबसे सुरक्षित रहा है. पीयूष गोयल (Piyush Goyal) के इस बयान के बाद दो दिनों में दो रेल हादसे (Train Accident) हो चुके हैं. रविवार को दिल्ली आ रही सीमांचल एक्सप्रेस (Seemanchal Express Derailed) के 11 डिब्बे बिहार के वैशाली जिले में पटरी से उतर गए. हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई. पूर्व मध्य रेलवे के प्रवक्ता राजेश कुमार ने बताया कि सामान्य श्रेणी का एक डिब्बा, वातानुकुलित श्रेणी का एक डिब्बा बी3, शयनयान श्रेणी के डिब्बे एस8, एस9, एस10 और चार अन्य डिब्बे पटरी से उतर गए. यह पहला मौका नहीं है जब भारतीय रेल पटरी से न उतरी हो.

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बता दें पिछले साढ़े चार वर्षों में साढ़े तीन सौ अधिक छोटे-बड़े हादसे हो चुके हैं. 2017 में समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट में रेल मंत्रालय में दर्ज हादसों के आंकड़े का ब्यौरा दिया गया है. आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में 135 हादसे हुये और 2015-16 में घटकर 107 रह गये.

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2016-17 में रेल हादसों का आंकड़ा घटकर 104 हो गया. हालांकि इसके बाद से रेल मंत्रालय ने रेल हादसे रोकने की दिशा में गंभीरता से काम किया. आधुनिक तकनीक समेत सुरक्षा के कई उपाय अपनाये जाने के बाद रेल हादसों की संख्या में कमी दर्ज की गयी है. ज़्यादातर रेल हादसों में मानवीय भूलों को ज़िम्मेदार ठहराया गया. भारत में अभी क़रीब 115,000 किलोमीटर रेलवे ट्रैक है.

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रेलवे मंत्रालय ने 2015 में अपने एक मूल्यांकन में बताया था कि 4,500 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने की ज़रूरत है. हालांकि फंड की कमी के कारण ये बेहद ज़रूरी काम नहीं हो रहे हैं. न तो नए ट्रैक का निर्माण हो रहा है और न ही उन्हें बदला जा रहा है. 2015 में केवल 2,100 किलोमीटर ट्रैक के नवीकरण का लक्ष्य रखा गया था.

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2014 में इस बात का उल्लेख रेलवे के एक आंतरिक ज्ञापन में किया गया था. इस साल जनवरी और मई महीने में रेलवे पटरी में गड़बड़ी के 136 मामलों को दुरुस्त किया गया था. जाड़े में रेलवे ट्रैक का तेज़ी से संकुचन होता है. इसके लिए रेलवे की तरफ़ से विंटर पट्रोलिंग शुरू की जाती है. इसमें पटरी के संकुचन की तहक़ीक़ात की जाती है.

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समस्या केवल यही नहीं है. बेकार हो चुकी गाड़ियों को ट्रैक से बाहर करने के लिए फंड की ज़रूरत है. इन हादसों में गाड़ियों और ट्रेनों के टकराने के भी मामले हैं. भारत में 10 हज़ार से ज़्यादा मानवरहित क्रॉसिंग हैं. रेलवे फंड और निवेश की कमी से बुरी तरह जूझ रहा है.

Source : News Nation Bureau

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