बिहार के 17 शेल्टर होम में बच्चों का यौन शोषण और प्रताड़ना के मामले में जल्द ही राज्य के 25 जिलाधिकारी और 46 अन्य सरकारी अधिकारियों पर गाज गिरने वाली है. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने इन सभी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है. सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवम्बर 2018 को सीबीआई के एसपी देवेन्द्र सिंह को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के अलावा 16 शेल्टर होम की जांच का आदेश दिया था. एसपी देवेन्द्र सिंह ने जांच कर वकील के माध्यम से हलफनामा दायर किया. उन्होंने जांच की और जांच में अफसरों की लापरवाही सामने आई. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के अतिरिक्त 12 अन्य केस बिहार सरकार ने दर्ज किये थे और इन सभी मामलों की सीबीआई ने दोबारा जांच की.
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कहां के बालिका गृह और किन पर कार्रवाई के लिये सीबीआई ने की अनुशंसा:
- चिल्ड्रन होम फॉर बॉयज़, गया- 2 डीएम, 1 सरकारी अफसर और 13 चाइलड वेल्फेयर कमिटी के सदस्य और प्राईवेट व्यक्तियों को ब्लेक लिस्ट करने की तैयारी.
- चिल्ड्रन होम फॉर बॉयज़, भागलपुर - 2 डीएम, 3 सरकारी अधिकारी और 6 प्राईवेट व्यक्ति ब्लेक लिस्ट
- शार्ट स्टे होम, मुंगेर - यहां पर अधिकारियों को इंस्पेकशन के विषय में विशेष निर्देश दिये जाने की जरूरत
- चिल्ड्रन होम फॉर बॉयज़, मुंगेर - 1 डीएम और 2 प्राईवेट लोगों को ब्लेक लिस्ट
- शार्ट स्टे होम, पटना- एक सरकारी अधिकारी
- चिल्ड्रन होम फॉर बॉयज़, मोतिहारी - 2 डीएम
- कौशल कुटीर, पटना - एक सरकारी अधिकारी
- शार्ट स्टे होम, मोतिहारी - 5 डीएम, 5 सरकारी अधिकारी और 1 एन जी ओ सखी
- शार्ट स्टे होम, कैमूर - 7 डीएम, 11 सरकारी अधिकारी
- शार्ट स्टे होम, मधेपुरा - 1 डीएम और 5 सरकारी अधिकारी
- ओब्सेर्वेशन होम, अररिया - 1 डीएम और 5 सरकारी अधिकारी
इन चार जगहों पर सबूत नहीं मिलने पर केस दर्ज नहीं, मगर अफसरों की दिखी लापरवाही:
- स्पेशलाइज्ड अडोपशन एजेन्सी, मधुबनी- 2 डीएम, 5 सरकारी अधिकारी पर कार्रवाई की सिफारिश
- स्पेशलाइज्ड अडोपशन एजेन्सी, पटना - 1 डीएम, 5 अधिकारी पर कार्रवाई की अनुस्ंशा
- स्पेशलाइज्ड अडोपशन एजेन्सी, कैमूर - 3 सरकारी अधिकारी और 13 संस्थाओं को ब्लेक लिस्ट करने की सिफारिश
- सेवा कुटीर, गया - 4 संस्थाओं को ब्लेक लिस्ट करने की सिफारिश.
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इस रिपोर्ट के साथ सीबीआई ने एक और हलफनामा दिया है और वो है शेल्टर होम में बच्चियों की मौत से जुड़ा हुआ, जिसने 35 बच्चियों की शेल्टर होम में हुई मौत को सीबीआई ने नकारा है. अब इस मामले की याचिकाकर्ता निवेदिता ने सीबीआई की जांच को दो नज़र से देखना शुरू किया है. घेरे में अधिकारी और सरकार तो ठीक मगर जांच में बच्चियों की मौत को नकारना इन्हें परेशान कर रहा है. इन्होंने चार याचिकाएं इस मामले में दायर की थीं और अब सीबीआई की जांच इनकी नजर में और गहराई से हो.
कैसे शुरू हुआ पूरा मामला:
- 14 नवम्बर 2017 को टिस ने बालिका गृह में किया था सोशल ऑडिट..
- 31 मई 2018 को एफ आई आर
- 1 जून 2018 को मुजफ्फरपुर बालिका गृह का संचालक ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार
- 26 जून 2018 को सीबीआई को केस सौपा गया
अब इस पूरे मामले में सीबीआई के हलफनामे ने सवाल तो बिहार सरकार के तंत्र पर उठाए हैं यानी नीतीश कुमार के अधिकारियों की लापरवाही के कारण बच्चियों पर अत्याचार होता रहा. विपक्ष से राजद के प्रवक्ता मृत्युन्जय तिवारी सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उधर, सत्तारुढ दल जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन बचाव की मुद्रा में है. वो आश्वस्त कर रहे हैं कि कि अगर साक्ष्य मिले तो अधिकारी भी बख्शे नहीं जाएंगे.
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राजनीतिक बयानबाजी तो ठीक, मगर क्या कार्रवाई अपने अधिकारियों पर करना नीतीश सरकार के लिये आसान होगा. बिहार में आईएएस का कैडर स्ट्रेनथ 342 है, यहां 237 आईएएस हैं. 105 की कमी और उसमें 22 इस साल सेवानिवृत्त होंगे. अब ऐसी स्थिति में 25 आईएएस अफसरों पर सीबीआई की कार्रवाई की अनुशंसा के बारे में सरकार को कोई कदम उठाने के पहले कई बार सोचने की जरूरत है. मगर साल चुनावी है, सो निर्णय अब सरकार के मुखिया को लेना है.
Source : News Nation Bureau