चुनाव आयोग ने शनिवार को एक आदेश पारित करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस और लोकसभा सांसद चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के दोनों धड़ों को आगामी विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम या चुनाव चिह्न का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. दोनों पक्षों ने लोजपा के नाम और चुनाव चिन्ह पर अपना दावा पेश किया था, लेकिन उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि 8 अक्टूबर होने के कारण चुनाव आयोग ने कहा कि तय समय उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं है. आदेश में कहा गया है कि पासवान ने 1 अक्टूबर को अपने मौखिक निवेदन में 8 अक्टूबर से पहले निर्णय लेने की मांग की थी. चुनाव की घोषणा 28 सितंबर को हुई थी और मतदान 30 अक्टूबर को होना है.
पिछले साल लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद, उनके बेटे चिराग पासवान और उनके भाई पारस दोनों ने पार्टी नेतृत्व के लिए दावा पेश किया था. आदेश में कहा गया है कि पारस ने 14 जून को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर संसद में लोजपा नेता होने का दावा किया था. चिराग पासवान ने पारस सहित पांच सांसदों को पार्टी द्वारा निलंबित करने के बारे में कई पत्रों में चुनाव आयोग को सूचित किया. चुनाव आयोग ने कहा कि चिराग पासवान ने 10 सितंबर को पार्टी अध्यक्ष होने के अपने दावे को दोहराया था.
HIGHLIGHTS
- 30 अक्टूबर को दो सीटों पर होने हैं दो उपचुनाव
- इस फैसले से चिराग पासवान और पशुपति पारस को झटका
- 30 अक्टूबर को कुशेश्वर स्थान और तारापुर सीटों पर उपचुनाव