हर-हर महादेव और बम-बम भोले की गूंज, दो साल बाद श्रावणी मेले का आयोजन

वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से बीते 2 साल से स्थगित विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला 2022 की शुरुआत गुरुवार से होगी. मेले की तैयारी चरम पर है. देश-परदेस से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो चुका है.

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Harsh Agrawal
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दो साल बाद श्रावणी मेले का आयोजन( Photo Credit : फाइल फोटो )

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वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से बीते 2 साल से स्थगित विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला 2022 की शुरुआत गुरुवार से होगी. मेले की तैयारी चरम पर है. देश-परदेस से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो चुका है. प्रशासनिक अधिकारियों को इस बात की उम्मीद है कि इस बार रिकार्ड तोड़ श्रद्धालु बाबा धाम दर्शन के लिए पहुंचेंगे. इस लिहाज से यात्रियों को सुख सुविधाओं के साथ-साथ उनकी सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की जा रही है. जिस मार्ग से कांवरियां आएंगे या वापस लौटेंगे, बिहार के उन सभी 15 जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल को मुस्तैद किया गया है. सुल्तानगंज में कांवरियों की भीड़ जुटने लगी है. श्रावणी मेले के पहले दिन गंगा जल भरने के लिए कांवरियों के सुल्तानगंज पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है.

बुधवार को बड़ी संख्या में कांवरिये बुधवार को सुल्तानगंज पहुंचे और गुरु पूर्णिमा के मौके पर गंगा स्नान किया. सुल्तानगंज मेला परिसर बोल बम के नारों से गूंजने लगा है. कांवरिया पथ में दुकानें सज गई हैं. करीब 125 सीसीटीवी कैमरे मेले की निगरानी के लिए लगाए गए हैं. उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद श्रावणी मेले का उद्घाटन करेंगे. उद्घाटन समारोह में बिहार सरकार के 6 मंत्री शिरकत करेंगे. कोरोना संक्रमण के चलते दो साल बाद हो रहे श्रावणी मेला में एक महीने में 50 लाख से ज्यादा कांवरियों के आने का अनुमान है.

वहीं, देवघर में श्रावणी मेले में देश भर से जुटने वाले कांवरियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल से जुड़ी तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर लिया गया है. बाबा नगरी में लंबे अंतराल के बाद शुरू हो रहे श्रावणी मेले में शिवभक्त कांवरियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है. जिला प्रशासन ने अपनी तैयारियों को मुकम्मल करते हुए बिहार झारखंड के बॉर्डर जुम्मा से लेकर पूरे कमरिया पथ के अलावा मंदिर के इलाके और शहर के उन तमाम इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. जहां कांवरियों की कतार से लेकर उनके ठहरने तक की उम्मीद जताई जा रही है. पूरे शहर को सुरक्षा के घेरे में रखा गया है और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं.

ड्रोन कैमरे से भी होगी निगरानी
श्रावणी मेले के दौरान ड्रोन कैमरा और कमांड कंट्रोल सिस्टम का इंतजाम किया गया है. सभी भीड़भाड़ वाले इलाकों में विशेष बल की तैनाती की गई है. कांवरिया पथ और मेला क्षेत्र में 21 अस्थाई थाने बनाए गए हैं. वहीं, 11 अस्थाई ट्रैफिक थाने भी बनाए गए हैं, ताकि यातायात भी सुचारू रूप से चलता रहे. वहीं, पूरे मेला क्षेत्र में भारी सुरक्षा बल की तैनाती की गई है.

कांवरियों के ठहरने लिए स्प्रिचुअल हॉल
श्रावणी मेले में कांवरियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा उपलब्ध कराने के मकसद से जिला प्रशासन की तरफ से जुम्मा बॉर्डर और कांवरिया पथ के बीच में एक स्पेशल हॉल का निर्माण कराया गया है. यहां उनके आराम करने की व्यवस्था की गई है. इस स्पेशल हॉल में उनके ठहरने से लेकर सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं. बिहार के भागलपुर, बांका समेत अन्य जिलों में मेले को लेकर खासी तैयारियां की गई हैं. डाक बम जाने वाले कांवरियों के लिए विशेष सुविधा रखी गई है. उनके  पास को रास्ते में दो जगह बदला जाएगा. ताकि फर्जी डाक बमों पर रोक लगाई जा सके.

सुल्तानगंज से रवाना होने वाले डाक कांवरियों को पास दिया जाएगा. बांका पहुंचने पर अबरखा सरकारी धर्मशाला में उनके पास की जांच की जाएगी और उन्हें  पीला कार्ड दिया जाएगा. इसके बाद हड़खाड़ सरकारी धर्मशाला में तैनात उनका पीला कार्ड चेक कर उन्हें गुलाबी कार्ड देंगे. इन दोनों जगहों पर 24 घंटे पास निर्गत करने की सुविधा रहेगी. इन दोनों जगहों पर मिले पास के आधार पर ही देवघर में विशेष पूजा का पास बनेगा. श्रावणी मेला में कांवरिये गंगाजल लेकर कांवरिया पथ से बाबा धाम देवघर जाते हैं. डाक बम वाले कांवरियों के लिए इस दौरान खास पूजा की सुविधा दी जाती है. इसके लिए भागलपुर जिला प्रशासन उन्हें सुल्तानगंज में  पास देता है. इस पास के जरिए वे देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में विशेष पूजा कर सकते हैं.
 
कांवड़ यात्रा के नियम
कावड़ यात्रा एक पवित्र यात्रा होती है, इसलिए इस यात्रा में शुद्धता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.
बिना स्नान किए भक्तों को कांवड़ को हाथ नहीं लगाना चाहिए.अगर आप कांवड़ यात्रा कर रहे हैं और आपको किसी कारण से रुकना पड़ रहा है, तो गंगा जल से भरी हुई कावड़ को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए.  इससे कांवड़ की पवित्रता पर असर पड़ता है. इस स्थिति में कांवड़ को किसी ऊंचे स्थान पर ही रखना चाहिए. कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से पूरे श्रावण मास दूर रहना चाहिए.

श्रावणी मेले का अर्थशास्त्र
देवघर के इस श्रावणी मेले के साथ बाजार का अर्थशास्त्र भी जुड़ा है. ऐसे में कई उद्योग हैं, जिन्हें जीवित रखने के लिए ये मेला काफी है. कांवड़ियों के लिए कुछ सामान साथ ले जाने की आवश्यक होता है. इसमें टॉर्च, नया कपड़ा मसलन गंजी, बनियान, तौलिया , चादर, दो जल पात्र, अगरबत्ती के आठ-दस पैकेट, माचिस. एक कांवड़िए कम से कम एक हजार रुपए की खरीदारी करता है. श्रावणी मेले में सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर प्रस्थान करने वाले कांवड़ियों की संख्या सवा महीने में 50 लाख के करीब पहुंच जाती है. इसमें लगातार वृद्धि हो रही है. इस तरह सिर्फ श्रावणी मेले में 500 करोड़ की खरीदारी इन वस्तुओं की होती है. इसके अलावा रास्ते में चाय, ठंडे पेय, खाने पीने पर भी प्रतिदिन में दो से ढ़ाई सौ रुपये खर्च आता है. देवघर में जलाभिषेक के बाद पेड़ा, चूड़ी, सिंदूर और अन्य सामग्री की कम से कम इतने की ही खरीदारी की जाती है. यानि श्रावणी मेले का अर्थशास्त्र कुल मिलाकर करीब 1 हजार करोड़ का है.

Source : News Nation Bureau

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