विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हुए 7 दिन हो गए हैं. 7 दिन के अंदर कांवरिया पथ पर तरह-तरह के कांवड़ देखने को मिल रहे हैं. इसी क्रम में आज बांका जिले के बेलहर प्रखंड के धौरी कांवरिया पथ पर एक अनोखा कांवड़ देखने को मिला. एक वृद्ध माता-पिता ने देवघर जाने की इच्छा जताई. यह बात जानकर श्रवण कुमार की तरह बेटे और बहू ने एक बहंगी तैयार करवाई और माता-पिता को कंधे पर लादकर बाबाधाम तीर्थ के दर्शन करवाने निकल पड़े. कांवड़ के भार को आगे से बेटे ने संभाला तो वहीं पीछे से बहु ने उठा रखा था. ये आज सुल्तानगंज गंगा घाट से चलकर देवघर के लिए रवाना हुए. माता-पिता के प्रति बेटे-बहु का समर्पित भाव देखकर लोग जमकर प्रशंसा करते दिखे.
कलयुग के श्रवण कुमार पुत्र चंदन कुमार और बहू रानी देवी बिहार के जहानाबाद जिले के थाना घोषी के बीरपुर केवाली के रहने वाला हैं. ये अपने माता-पिता को लेकर बाबाधाम की यात्रा पर निकले हैं. सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर के लिए प्रस्थान किया है. चंदन कुमार ने बताया कि हम प्रत्येक महीने सत्यनारायण व्रत का पूजन करते हैं और उसी दौरान मन में माता और पिताजी को बाबाधाम की पैदल तीर्थ कराने का इच्छा जाहिर हुई, लेकिन माता और पिताजी वृद्ध हैं तो ऐसे में 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा पैदल तय करना संभव नहीं था. इसके लिए मैने अपनी पत्नी रानी देवी को बताया तो उन्होंने ने भी इसमें अपनी भागीदारी देने की हिम्मत दी. जिसके बाद मैने निर्णय लिया कि माता-पिता को हम बहंगी में बिठाकर अपने कंधे के बल इस यात्रा को सफल करेंगे.
इस दौरान मैंने एक मजबूत कांवड़नुमा बहंगी तैयार करवाई और सुल्तानगंज से जल भरकर उस बहंगी में आगे पिताजी और पीछे माताजी को बिठाकर यात्रा शुरू की है. जिसमें बहंगी के आगे हिस्से को मैंने अपने कंधे पर लिया है जबकि मेरी पत्नी रानी देवी पीछे से सहारा दे रही हैं. उन्होंने बताया कि लंबी यात्रा है समय लगेगा, लेकिन हम इस यात्रा को जरूर सफल करेंगे.
Source : Manish Kumar Singh