जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी को पत्र लिखकर जवाब मांगा है. इसमें बताया गया है कि "नालंदा जिले में जेडीयू के दो साथियों की सबूत के साथ शिकायत मिली है. इसमें आपके और आपके परिवार के नाम से वर्ष 2013 से 2022 तक अकूत संपत्ति निबंधित कराया गया है, जिसमें कई प्रकार की अनियमितता दिखाई दे रही है. आप लंबे समय तक दल के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के साथ अधिकारी और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे हैं.
आपको, हमारे माननीय नेता ने दो बार राज्यसभा का सदस्य, पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव (संगठन), राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्र में मंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर, पूर्ण विश्वास एवं भरोसे के साथ दिया. आप इस तथ्य से भी अवगत हैं कि माननीय नेता, भ्रष्टाचार के जीरो टॉलरेंस पर काम करते रहे हैं और इतने लंबे सार्वजनिक जीवन के बावजूद उन पर कभी दाग नहीं लगा और न उन्होंने कोई संपत्ति बनाई. पार्टी आपसे अपेक्षा करती है कि इस परिवाद के बिंदुओं पर बिंदुवार अपनी स्पष्ट राय से पार्टी को तत्काल अवगत कराएंगे.
पत्नी के नाम की वर्तनी में भी हेरफेर
वहीं दूसरी ओर यह बात भी सामने आई है कि चुनावी हलफनामा 2010 एवं 2016 में आरसीपी सिंह ने अपनी पत्नी का नाम गिरिजा सिंह दर्ज किया है. वहीं जमीन खरीदी गए केवाला में गिरजा सिंह लिखा गया है. जेडीयू के दस्तावेजों में इसका भी जिक्र है कि आरसीपी सिंह 2010 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होते हैं और उनके परिजन 2013 से अब तक संपत्ति खरीदने में सक्रिय हो जाते हैं. अस्थावां प्रखंड में खरीदी गई जमीन में पत्नी के नाम की वर्तनी में हेराफेरी की गई है.
इस्लामपुर अंचल में 24 प्लॉट, दान वाली जमीन भी खरीदी गई
सबूत के आधार पर देखें तो यह बताया गया है कि इस्लामपुर (हिलसा) अंचल के सैफाबाद मौजा में 12 और केवाली अंचल में 12 प्लॉट खरीदे गए हैं. 2013 से 2016 के बीचे में इसकी खरीदारी की गई है. ये प्लॉट लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर है. वहीं, 28 अप्रैल 2014 को चरकावां (नीमचक बथानी, गया) के नरेश प्रसाद सिंह ने बेलधर बिगहा (छबीलापुर, नालंदा) के धर्मेंद्र कुमार को दान में जमीन दी. बाद में धर्मेंद्र कुमार ने यही जमीन लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दी है.
35 पन्नों में जमीन की खरीद और इससे जुड़े विवरण
जेडीयू के दस्तावेज को देखें तो यह भी बात सामने आई है कि चार सितंबर 2014 और 15 सितंबर 2014 को सिलाव के बिशेश्वर साव ने दो प्लॉट खरीदे. इसे 18 सितंबर को लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दिया गया. ऐसे 2 और मामले हैं, जिसमें 6 दिन और 8 महीने में दूसरे से खरीदी गई जमीन को खरीदने वाले ने लता सिंह और लिपि सिंह को जमीन बेच दी गई. कुल 35 पन्नों में जमीन की खरीद और इससे जुड़े दूसरे विवरण हैं.
अस्थावां में खरीदे 34 प्लॉट
इसके अलावा अस्थावां (नालंदा) के शेरपुर मालती मौजा में 33 प्लॉट खरीदे गए हैं. इसमें चार प्लॉट 2011- 2013 में लता सिंह और लिपि सिंह के नाम पर लिया गया है. पिता के रूप में आरसीपी सिंह का नाम है. बाकी 12 प्लॉट गिरजा सिंह और 18 प्लॉट लता सिंह के नाम पर खरीदे गए हैं. वहीं, महमदपुर में 2015 में एक प्लॉट गिरजा सिंह के नाम पर खरीदा गया. 2011 में 2, 2013 में 2, 2014 में 5, 2015 में 6, 2017 में 1, 2018 में 3, 2019 में 4, 2020 में 3, 2021 में 6 तथा 2022 में 2 प्लॉट खरीदे गए हैं.
पत्नी के नाम की वर्तनी में भी हेरफेर
वहीं दूसरी ओर यह बात भी सामने आई है कि चुनावी हलफनामा 2010 एवं 2016 में आरसीपी सिंह ने अपनी पत्नी का नाम गिरिजा सिंह दर्ज किया है. वहीं जमीन खरीदी गए केवाला में गिरजा सिंह लिखा गया है. जेडीयू के दस्तावेजों में इसका भी जिक्र है कि आरसीपी सिंह 2010 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होते हैं और उनके परिजन 2013 से अब तक संपत्ति खरीदने में सक्रिय हो जाते हैं. अस्थावां प्रखंड में खरीदी गई जमीन में पत्नी के नाम की वर्तनी में हेराफेरी की गई है.
हालांकि आरसीपी सिंह उर्फ रामचंद्र प्रसाद सिंह से हमने जब इस सवाल पर जवाब जानने की कोशिश की तो उन्होंने चुप्पी साधी रही साथ ही कैमरा को बंद रखने को कहा. वहीं बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भी इस मामले में कुछ भी बोलने से परहेज किया.
Source : News Nation Bureau