बिहार का ऐसा गांव जहां 200 सालों से नहीं मनाई जा रही होली, जानिए आखिर क्या है वजह
होली का नाम जुबान पर आते ही रंग गुलाल और अबीर हवा में उड़ते दिखाई देने लगते है, लेकिन बिहार में एक ऐसा गांव है जहां होली नजदीक आते ही सन्नाटा पसर जाता है. ऐसा एक दो सालों से नहीं बल्कि 200 सालों से हो रहा है.
होली का नाम जुबान पर आते ही रंग गुलाल और अबीर हवा में उड़ते दिखाई देने लगते है, लेकिन बिहार में एक ऐसा गांव है जहां होली नजदीक आते ही सन्नाटा पसर जाता है. ऐसा एक दो सालों से नहीं बल्कि 200 सालों से हो रहा है. वहां होली नहीं मनाई जाती है ना ही कोई पकवान बनाए जाते हैं. आखिर क्या है इस गांव की कहानी और क्यों नहीं मनाई जाती यहां होली. इसकी वजह हम आज आपको बताएंगे।
200 सालों से नहीं मनाई जा रही है होली
एक तरफ देश भर में होली का खुमार है. ब्रज से लेकर बनारस तक होली के रंग में सबकुछ सराबोर है, लेकिन बिहार का ऐसा गांव है. जहां होली के दिन खुशियां हुड़दंग नहीं बल्कि सन्नाटा पसरा रहता है. ये तस्वीरें बिहार के मुंगेर जिले के सतीस्थान गांव की है. जहां 200 सालों से होली नहीं मनाई जा रही है. इस गांव के लोग होली के दिन ना रंग खेलते हैं और ना ही पकवान बनाते हैं. ये सच है या अंधविश्वास ये तो कोई नहीं जानता लेकिन कहानी 200 सालों से चली आ रही है.
पत्नी ने सती होने का किया था जिद
इतना ही नहीं यहां तक के आस पड़ोस के गांव के लोग भी इस गांव के लोगों पर रंग अबीर नहीं डालते हैं . ग्रामीणों के मुताबिक बताया जाता है कि गांव में एक पति-पत्नी रहते थे. करीब 200 साल पहले होली के दिन पति की मृत्यु हो गई थी. जब गांव के लोग पति के दाह संस्कार के लिए शव को लेकर जाने लगे तो शव अर्थी से बार-बार गिर रहा था. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जब कई बार ऐसा हुआ तो गांव वालों ने पत्नी को भी साथ ले जाने का फैसला किया. जब पत्नी गांव वालों के साथ श्मशान जाने लगी तो फिर शव एक बार भी नहीं गिरा. जिसके बाद पत्नी सती होने की जिद करने लगी तो उसे भी पति के साथ ही जला दिया गया और वो सती हो गई.
सती का बनवा दिया गया मंदिर
गांव के लोगों का कहना है कि दाह संस्कार के बाद गांव वाले वापिस लौट आए, लेकिन जब करीब 100 साल बाद अंतिम संस्कार वाली जगह खुदाई की गई तो वहां दो मूर्तियां मिली. गांव वालों ने इसे सती की ही मूर्ति मानकर एक मंदिर बना दिया. ये मंदिर सती स्थान के नाम से जाना जाता है.
यहीं वजह है कि 200 साल पहले से यहां यही परंपरा चली आ रही है कि इस गांव के लोग होली नहीं मानते है. ग्रामीणों के अनुसार जिस ने भी चोरी छिपे यहां होली मानने को कोशिश कि उसके यहां कुछ ना कुछ अनहोनी हो जाती है. इतना ही नहीं इस गांव से निकल कर जो लोग बाहर बस गए हैं, वो भी होली नहीं मानते हैं और इस परंपरा का सख्ती से पालन करते हैं . कुछ ग्रामीणों ने बताया की इस कारण इस गांव का नाम ही सती गांव रख दिया गया है.
HIGHLIGHTS
बिहार का एक गांव, जहां नहीं मनती होली
200 सालों से होली पर मनता है शोक
सती का बनवा दिया गया मंदिर
जो लोग गांव से बाहर रहते हैं वो भी नहीं मनाते होली