बिहार राजनीति के कद्दावर नेताओं में शुमार सुशील कुमार मोदी का बीते सोमवार को 72 वर्ष की आयु में एम्स अस्पताल में निधन हो गया. एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक उन्होंने रात 9 बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली. सुशील कुमार बीते 7 महीने से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. अपनी बीमारी की जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से देकर की थी. बिहार की राजनीति का अभिन्न अंग रहे सुशील कुमार मोदी ने अपनी सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1990 से की थी. इसके साथ ही उन्होंने 1974 में जय प्रकाश नारायण द्वारा चलाये गए आंदोलन में भी अपनी अहम हिस्सेदारी निभाई थी.
पटना विश्वविद्यालय से हुई सियासी सफर की शुरुआत
सुशील कुमार मोदी की राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1971 से शुरू हो गई थी. साल 1971 में सुशील मोदी पटना विश्वविद्यालय की छात्र संघ के 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य चुने गए थे. इसके बाद साल 1973 को वह छात्रसंघ के महामंत्री के तौर पर भी निर्वाचित हुए. उसी साल हुए छात्रसंघ चुनाव में ही आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष और भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद भी संयुक्त सचिव चुने गए थे. सुशील मोदी ने साल 1973 से लेकर 1977 तक महामंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन किया. इसके अलावा उन्होंने सक्रिय राजनीति में शामिल होने से पहले साल 1983 से लेकर साल 1986 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश मंत्री के तौर पर भी काम किया.
M.Sc की पढ़ाई बीच में छोड़ी
सुशील कुमार मोदी की प्रारंभिक शिक्षा सेंट माइकल स्कूल से हुई थी. इसके बाद उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पटना विश्वविद्यालय से बी.एससी (वनस्पति विज्ञान) में किया था. इसके बाद सुशील मोदी ने पटना विश्वविद्यालय से ही एमएससी में भी अपना दाखिला लिया था, लेकिन जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. इंदिरा गांधी के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के विरुद्ध में चल रहे इस आंदोलन में सुशील मोदी 19 महीने तक जेल में रहे.
बिहार में बने भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा
सुशील कुमार मोदी ने साल 1990 में बिहार की राजनीति में अपना कदम रखा. वह साल 1990 में पटना सेंट्रल विधानसभा सीट से विधायक के पद पर निर्वाचित हुए. उन्हें उसी साल भाजपा विधानसभा दल का मुख्य सचेतक भी बनाया गया. इसके बाद सुशील मोदी साल 1995 और 2000 में भी विधानसभा पहुंचे. वह 1996 से लेकर 2004 तक विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रहे. साल 2004 में सुशील मोदी भागलपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद भी बने. तीन दशक से लंबे चले अपने इस राजनीतिक सफर के दौरान सुशील मोदी ने ना सिर्फ भाजपा को बिहार में एक मजबूत पार्टी के रूप में स्थापित किया, बल्कि बिहार को मजबूत राज्य बनाने में भी अपनी जरुरी भूमिका निभाई थी.
ये भी पढ़ें : पटना के आवास पर अंतिम दर्शन को उमड़ने लगी भीड़, RSS प्रमुख ने भी जताया शोक
नीतीश के थे करीबी
सुशील मोदी को जेडीयू नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता था. भाजपा और जेडीयू की गठबंधन वाली सरकार बनवाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. नीतीश कुमार की सरकार में ही सुशील मोदी ने 11 साल तक उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली. वर्तमान समय में सुशील कुमार मोदी राज्यसभा सांसद थे.
5 करोड़ की है कुल संपत्ति
सुशील मोदी अपने पीछे 5 करोड़ की कुल संपत्ति छोड़ कर गए हैं. उनका नोएडा में लगभग 29 लाख रुपये का फ्लैट है. जिसकी जानकारी उन्होंने स्वयं 2019 में चुनावी हलफनामे में दी थी. इसके अलावा उनकी 60 हज़ार रुपये की एक LIC पॉलिसी भी थी.
आपको बता दें कि सुशील मोदी का पार्थिव शरीर विशेष विमान से पटना लाया जा चुका है. इसके अलावा उनके पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान में रखा गया, जहां उन्हें तमाम बड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की. उनका अंतिम संस्कार शाम 6 बजे राजकीय सम्मान के साथ दीघा घाट पर होगा.
HIGHLIGHTS
- सुशील मोदी का जीवन परिचय
- पटना विश्वविद्यालय से हुई सियासी सफर की शुरुआत
- बिहार में बने भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा
Source : News State Bihar Jharkhand