बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विपक्षी गठबंधन की दिल्ली बैठक से इसमें दरार दिखने लगी है. ये दरार टिकट बंटवारे का दौर आने पर और चौड़ी होगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का अन्य दलों की राय लिए बिना भोपाल-रैली स्थगित करना और 14 टीवी पत्रकारों के बहिष्कार पर नीतीश कुमार का अलग स्टैंड घमंडिया गठबंधन के अनिश्चित भविष्य का संकेत है. भोपाल में साझा रैली का निर्णय समन्वय समिति ने लिया था, जबकि कांग्रेस के कमलनाथ ने इसे रद करने का फैसला सुना दिया. माकपा ने समन्वय समिति की बैठक में अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा. उसने एकतरफा निर्णय लिया कि पार्टी केरल में कांग्रेस से और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से कोई समझौता नहीं करेगी. क्या यही विपक्षी एकता है?
भोपाल रैली रद्द करने का फैसला कांग्रेस ने अकेले लिया
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विपक्षी दलों का मुख्य मुकाबला भाजपा से जबकि इन दोनों राज्यों में केजरीवाल की पार्टी ने 10-10 उम्मीदवार अकेले ही घोषित कर दिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां टीवी पत्रकारों के बहिष्कार के निर्णय से सहमत नहीं हैं और प्रेस की आजादी पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. वहीं, राज्य सरकार की आलोचना करने वाले अखबारों का विज्ञापन रोकने की शिकायतें मिलती हैं. यह कैसा दोहरापन है?
बंगाल में विपक्षी एकता को दिया झटका
उन्होंने कहा कि कुछ टीवी पत्रकारों के बहिष्कार का निर्णय समन्वय समिति की बैठक का था और उसमें जदयू के प्रतिनिधि उपस्थित थे. क्या जदयू ने अपनी असहमति दर्ज करायी थी? नीतीश कुमार और कमलनाथ के बयान विपक्षी एकता की पोल खोल रहे हैं. यह तो शुरुआत है, आगे-आगे देखिये होता है क्या.
HIGHLIGHTS
- भोपाल रैली रद्द करने का फैसला
- कांग्रेस ने अकेले लिया
- बंगाल में विपक्षी एकता को दिया झटका
Source : News State Bihar Jharkhand