कोरोना वायरस (corona virus) महामारी की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन की अवधि 19 दिनों के लिए और आगे बढ़ा दिया गया है. मगर इस बीच देश के दो बड़े शहरों में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा और खराब स्थिति सामने आई. मुंबई के बांद्रा और गुजरात के सूरत में हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई, जिनके कई तरह के सवाल खड़े किए. जिस पर देश ही बल्कि बिहार भी राजनीति गरमा गई है. बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने प्रवासी मजदूरों की इस हालत के लिए राज्य की नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
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राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने वीडियो जारी कर कहा, 'यह बीमारी (कोरोना वायरस) लेकर हवाई जहाज वाले आए और पैदल चलने वाले भुगत रहे, कोरोना लेकर पासपोर्ट वाले आए और कीमत BPL राशनकार्ड वाले अदा करें. अमीरों की शानो-शौकत और बीमारी का हर्जाना बेचारे करोड़ों गरीब लोग भुगत रहे हैं. गरीबों की मदद के लिए क्यों नहीं वो अब आगे आ रहे हैं?'
तेजस्वी ने कहा, 'सरकारें सोचतीं है कि वो गरीबों के खाते में महज 500 रुपये डालकर और उन्हें मुट्ठीभर दाल-चावल का लालच देकर बहला लेंगी. मैं सरकारों से प्रार्थना कर रहा हूं कि कोरोना वायरस से कोई मरे ना मरे, लेकिन करोड़ों गरीब लोगों को घर भेज, महीनों के राशन का इंतजाम करें अन्यथा वो भूख से जरूर मर जाएंगे.'
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नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए राजद नेता ने कहा, 'आदरणीय नीतीश जी, आप वरिष्ठ नेता हैं. जब उतराखंड में फंसे हजारों गुजरातियों को लग्जरी बस में विशेष इंतजाम करके अहमदाबाद ले जाया जा सकता है तो गरीब बिहारियों को 21 दिनों बाद भी साधारण ट्रेन से वापस क्यों नहीं लाया जा सकता ? कृपया केंद्र से बात कर गरीबों के लिए कोई रास्ता निकालिए.'
उन्होंने वीडियो संदेश में बिहार सरकार से अपील की है कि सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें. इसके साथ ही तेजस्वी यादव ने अपील की है कि इन लोगों के लिए बिहार सरकार कोई बन्दोबस्त करे, जिससे प्रवासी मजदूर वापस आ सकें.
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