महागठबंधन में रहते हुए नीतीश सरकार ने ईबीसी, एससी और एसटी वर्गों के लिए बिहार में के लिए आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था, लेकिन सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट से झटका लगा है. दरअसल, हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है. वहीं, कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है. बयान देते हुए तेजस्वी ने भाजपा को आरक्षण विरोधी बता दिया. उन्होंने कहा कि हमें तो पहले से ही पता था कि भाजपा आरक्षण विरोधी हैं. हमने सरकार में रहते हुए जातिय आधारित गणना करवाई और फिर उसके आधार पर आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया. इसके साथ ही हमने भारत सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह इसे 9वीं सूची में डाल दें.
सीएम नीतीश मोदी जी का पैर एक बार और पकड़ लीजिए- तेजस्वी
इस मांग को किए 6 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इसे 9वीं सूची में नहीं डाला है और इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पता नहीं क्यों चुप हैं. भाजपा पर हमला करते हुए तेजस्वी ने कहा कि जब महागठबंधन की सरकार ने प्रदेश में जातीय आधारित गणना भी करवाई थी तब भाजपा के लोगों ने पीआईएल दायर कर दिया था. जातीय गणना के बाद हमने इसके आधार पर आर्थिक सर्वे भी करवाया. जिसके बाद आरक्षण को बढ़ाने का फैसला लिया गया. हमने इसके लिए संघर्ष किया और लड़ाई लड़ी, लेकिन एक बार फिर राज्य में भाजपा की सरकार आते ही वे आरक्षण को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. हम तो सीएम नीतीश से यहीं अनुरोध करते हैं कि पीएम मोदी के पैर आपने कितनी बार पकड़ा है, एक बार और पकड़ लीजिए और इसे 9वीं अनुसूची में डलवा दें. हमारे हिसाब से तो जिसकी जितनी आबादी है, उसे उस हिसाब से ही हक मिलना चाहिए.
हाईकोर्ट ने बढ़ाया गया आरक्षण किया खत्म
आपको बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने पिछड़े वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति का जो 15 फीसदी आरक्षण बढ़ाया था, उसे खत्म कर दिया है. इस याचिका पर कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को ही सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया था.
HIGHLIGHTS
- तेजस्वी ने 65 फीसदी आरक्षण खत्म होने पर दी प्रतिक्रिया
- भाजपा को बताया आरक्षण विरोधी
- सीएम नीतीश एक बार और पीएम मोदी का पकड़ लें पैर
Source : News State Bihar Jharkhand