कोरोना संक्रमण के दौर में प्रवासी मजदूरों और गरीबों की मदद के नाम पर बिहार (Bihar) में जमकर सियासत जारी है. इस बीच कैमूर जिले में प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) ने भोजनालय शुरू कराए तो इस पर नया विवाद खड़ा हो गया. भोजनालयों में बड़े-बड़े पोस्टर और होर्डिंग लगे थे. जिसकी जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे. काफी देर तक हाईवोल्टेज ड्रामा चलने के बाद आखिरकार प्रशासन ने राजद की ओर से लगाए गए कैंप को हटवा दिया.
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कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय जनता दल की ओर से बिहार-यूपी बॉर्डर पर लगाए तेजस्वी भोजनालय में लोगों को मुफ्त खाना खिलाया जा रहा था. लेकिन सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने उसे उखाड़ फेंका. इस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि राजद द्वारा संचालित प्रदेश भर में लालू रसोई और भोजनालयों के संचालन में प्रशासन द्वारा व्यवधान उत्पन्न किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गुरुवार देर रात्रि कर्मनाशा बॉर्डर पर तेजस्वी भोजनालय को स्थानीय प्रशासन तीन बार दल-बल के साथ उजाड़ने पहुंचा.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, 'हमारे द्वारा श्रमिकों और गरीबों के लिए चलाए जा रहे भोजनालय को उखाड़ने के लिए देर रात बिहार सरकार ने अधिकारी भेजें. अगर गरीबों को भोजन खिलाना राजनीति है तो आप भी करिए ना ऐसी राजनीति? BJP-JDU खाली कागजी कारवाई और जुबानी खर्च से ही गरीबों का पेट भर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'देर रात्रि राजद द्वारा यूपी-बिहार सीमा पर प्रवासी श्रमिक भाईयों के लिए संचालित भोजनालय को सरकार के आदेश पर स्थानीय प्रशासन बलपूर्वक उजाड़ने की धमकी देने लगा. सरकार का ऐसा अमानवीय रुख क्यों?'
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राजद नेता ने कहा, 'क्या जरूरतमंदों, गरीबों और श्रमिकों को भोजन कराना अपराध है? बिहार सरकार और प्रशासन क्यों नहीं भोजनालय संचालित करते? हम जनसेवा के उद्देश्य से यह कार्य कर रहे हैं, इसमें आपत्ति किस बात की? बिहार सरकार की ऐसी निम्नस्तरीय और संकीर्ण राजनीति से जरूरतमंदों का नुकसान है.'
तेजस्वी यादव ने आगे ट्वीट में लिखा, 'मेरी हाथ जोड़कर बिहार सरकार से विनम्र विनती है कि कृपया आप BJP और JDU का बैनर, झंडा व बड़े नेताओं के बड़े कट-आउट लगा लीजिए, लेकिन भूखे श्रमिक भाईयों के पेट पर लात मत मारिए. हम मानवीय आधार पर जनसेवा कर रहे हैं, इसमें कहीं कोई राजनीति नहीं आप अपना प्रचार कीजिए, लेकिन भोजनालय को चलने दें.'
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