देश में तमाम ऐसे पुल हैं जो अंग्रेजों के जमाने के बने हुए हैं लेकिन वो नहीं गिरते. वहीं, दूसरी तरफ बिहार में 'भ्रष्टाचार के पुल' बनाए जा रहे हैं. लोग पुल का इंतजार करते रहते हैं और जब करोड़ों की लागत से पुल बन जाता है तो वो पचास साल सौ साल नहीं बल्कि 5 साल में ही टूट जाती है. दरअसल, बेगुसराय के साहेबपुर कमाल प्रखंड क्षेत्र के रहुआ पंचायत व विष्णुपुर आहोक पंचायत के बीच बूढ़ी गंडक नदी पर बना सड़क पुल रविवार की सुबह अचानक गिर गया. अच्छी बात ये रही कि जिस समय पुल टूटकर नदी में समाधि ली उस समय कोई भी पुल पर नहीं था.
वैसे ये भी बताते चलें कि पिछले दो दिनों से ये पुलिस लगातार जिले में चर्चा का विषय बना हुआ था. पुल टूटने से पहले इसमें बड़ी बड़ी और मोटी-मोटी दरारें आईं थी. शनिवार को इंजीनियर्स की विशेष टीम भी जांच के लिए पहुंची थी लेकिन पुल को नहीं बचाया जा सका.
5 साल पहले बना था पुल
देश में अंग्रेजों के जमाने के पुल हैं लेकिन ये पुल महज 5 साल पहले बनकर तैयार हुआ था और अब टूट चुका है. मां भगवती कंस्ट्रक्शन, बेगूसराय के द्वारा ही 1343.32 लाख रुपए की लागत से 23 फरवरी 2016 को इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और अगस्त 2017 में इसे आम जनता को सौंप दिया गया था, लेकिन पुल 100 या 50 साल चलने की बजाय महज पांच साल में टूटकर धराशाई हो गया. पुल के टूट जाने से इलाके के 20,000 से ज्यादा लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, बूढ़ी गंडक नदी पर इस पुल के बनने के बाद भी वाहनों के आने-जाने पर रोक लगी थी. यहां के लोगों को NH-31 तक पहुंचने के लिए बांध मार्ग से ताड़ तर, उमेश नगर के रास्ते नन्हकू मंडल टोला तक लंबा सफर तय करना पड़ता था और सड़कें अच्छी नहीं होने के कारण यहां कोई सवारी व सार्वजनिक वाहन भी नहीं चलते थे.
रिपोर्ट: कन्हैया कुमार झा
HIGHLIGHTS
- 5 साल पहले बनकर तैयार हुआ था पुल
- पुल में आ गई थीं मोटी-मोटी दरारें
- 20,000 लोग हो रहे प्रभावित
- बूढ़ी गंडक नदी पर बना पुल दो टुकड़ों में हुआ
Source : News State Bihar Jharkhand