कोरोना संकट के बीच बिहार (Bihar) में हड़ताल पर गए शिक्षकों पर दर्ज किए गए मुकदमे अब वापस होंगे. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने शुक्रवार को हड़ताली नियोजित शिक्षकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का निर्णय लिया है. सरकार की घोषणा से नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है. सरकार ने शुक्रवार को 32 हजार शिक्षकों पर दायर प्राथमिकी को वापस लेने के लिए सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है.
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बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी किया है. उन्होंने पत्र में जिलाधिकारियों को लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक द्वारा संबंधित न्यायालय से सीआरपीसी 1973 की धारा-321 के तहत केस वापस लेने के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि हड़ताली नियोजित शिक्षक, जो तोड़फोड़ और हिंसा में शामिल नहीं थे, उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को वापस लेने को लेकर प्रावधान के अनुरूप आवश्यक कार्रवाई करें.
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अपर मुख्य सचिव शिक्षा आर.के. महाजन के मुताबिक, हड़ताल अवधि में मैट्रिक और इंटर के मूल्यांकन में सहयोग न देने, सरकारी कार्य में बाधा डालने आदि कारणों से शिक्षकों, पुस्तकालय अध्यक्षों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. शिक्षक संगठनों से सहमति के बाद जिन प्राथमिकी में तोड़फोड़ या हिंसा की घटना सम्मिलित नहीं, उसे नियमानुसार वापस लिया जाना है. विभागीय स्तर पर निर्णय लिया गया है कि जिलाधिकारी के माध्यम से लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक संबंधित न्यायालय से सीआरपीसी 1973 की धारा 321 के तहत अभियोजन वापस लेने का अनुरोध करेंगे. संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी को प्राथमिकी की सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जा रहे हैं.
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बता दें कि फरवरी में नियोजित शिक्षक अपनी मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर गए थे. इस दौरान शिक्षकों ने मैट्रिक परीक्षा से खुद को अलग कर लिया था. मूल्यांकन के कार्यों में भी वो नहीं पहुंचे थे. शिक्षकों पर हड़ताल के दौरान हिंसा फैलाने और तोड़फोड़ करने के भी आरोप लगे थे. जिसके बाद सरकार ने हड़ताली शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे. हालांकि बाद में 4 मई को शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर हड़ताल वापस ली थी.
Source : News Nation Bureau