148 घड़ियाल के बच्चे प्रजनन करा नदी में छोड़े, चंबल के बाद गंडक नदी में सबसे ज्यादा घड़ियाल

बिहार के बगहा में इंडो नेपाल सीमा से होकर गुजरने वाली गण्डक नदी घड़ियालों के लिए बेहतर अधिवास साबित हो रही है। बगहा में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा ग्रामीणों और स्थानीय मछुआरों के सहयोग से सैकड़ो घड़ियाल का हैचिंग कर गण्डक नदी में छोड़ा गया

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Mohit Sharma
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alligators ( Photo Credit : News Nation)

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बिहार के बगहा में इंडो नेपाल सीमा से होकर गुजरने वाली गण्डक नदी घड़ियालों के लिए बेहतर अधिवास साबित हो रही है। बगहा में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा ग्रामीणों और स्थानीय मछुआरों के सहयोग से सैकड़ो घड़ियाल का हैचिंग कर गण्डक नदी में छोड़ा गया...WTI के मुताबिक गण्डक नदी में आश्चर्यजनक तरीके से घड़ियालों के संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2016 से लेकर अब तक वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार द्वारा घड़ियाल के 350 से ज्यादा अंडों को संरक्षित कर उसका हैचिंग कराया जा चुका है। लिहाजा वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक घड़ियालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।पूर्व से गण्डक नदी में 300 से अधिक घड़ियाल थे जिनकी संख्या बढ़कर तकरीबन 500 पहुंच चुकी है। 

गंडक क्षेत्र में 5 जगह से मिले अंडों को मछुआरों ने संरक्षित किया और फिर उसका हैचिंग कराया गया जिसके बाद तीन जगहों के अंडों से सुरक्षित प्रजनन हुआ जबकि दो जगहों के अंडे बर्बाद हो गए। इन तीन जगहों के अंडों का प्रजनन कर 148 घड़ियाल के बच्चों को गण्डक नदी में छोड़ा गया। इन इलाकों में मिल रहे अच्छे परिणाम से वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट बहुत उत्साहित है..भविष्य में WTI और वन एवं पर्यावरण विभाग अब घड़ियालों के प्रजनन के लिए ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों व मछुआरों को प्रशिक्षित करने की रणनीति बना रही है और कोशिश ये होगी कि हैचिंग करा इनकी संख्या और कैसे बढ़ाई जाए ,अब इस दिशा में काम तेजी से किया जाएगा...चूंकि 2016 में पहली बार घड़ियाल के मिले घोसले ने स्थानीय लोगों में भी जिज्ञासा बढ़ाया नतीजा ये हुआ कि 2018 के बाद स्थानीय लोगों की भूमिका घड़ियाल के संरक्षण और प्रजनन में बढ़ते गयी... उसी का परिणाम है कि एक साथ 148 अंडों का प्रजनन करा घड़ियाल के छोटे बच्चों को गंडक में छोड़ा गया...

WTI के अधिकारी क्या कह रहे::

वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के पदाधिकारी सुब्रत बेहरा का मानना है कि गंडक नदी घड़ियाल का बेहतर अधिवास है...2016 में सबसे पहले यहां घड़ियाल का घोंसला देखा गया...2018 से 2022 तक हर साल घड़ियाल का घोंसला यहां देखा गया...उनका कहना है कि स्थानीय लोग और मछुआरों की मदद से घोसला ढूंढना और संरक्षित करना मुमकिन हो पा रहा है...स्थानीय ग्रामीणों और मछुआरों को प्रशिक्षित किया और अंडों के संरक्षण व उसके प्रजनन का गुर सिखाया। यही वजह है कि वर्ष 2022 में गण्डक नदी किनारे वाल्मीकिनगर से रतवल पूल तक 5 जगह घड़ियालों के अंडे मिले। 2022 में 5 घोंसला मिले जिनमे तीन घोंसलों में 148 अंडे मिले,2 घोंसले शिकारी जानवर और सियार ने नष्ट कर दिया था...अब आने वाले दिनों में घड़ियालों की अधिकता के साथ इस क्षेत्र को एक नए आयाम देने की है....

Source : Rajnish Sinha

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