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कैमूर में शिक्षा की हालत बदहाल, खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे

अनुसूचित जाति विद्यालय के लिए ना तो कमरा है, ना प्लेग्राउंड और ना ही चारदिवारी. सरकार के करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद आज भी बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. बारिश का मौसम हो या तेज धूप लगे तो बच्चों को छुट्टी देना पड़ता है.

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Rashmi Rani
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खुले आसमान के नीचे पढ़ते बच्चे ( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)

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कैमूर जिले में शिक्षा व्यवस्था का हाल काफी खस्ता है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन अनुसूचित जाति विद्यालय के लिए ना तो कमरा है, ना प्लेग्राउंड और ना ही चारदिवारी. सरकार के करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद आज भी बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. एक क्लास की पढ़ाई होती है तो दूसरे क्लास के बच्चे भी उसको सुनते हैं और दूसरे की पढ़ाई होती है तो पहले क्लास के भी बच्चे सुनते हैं. हल्की बारिश हो जाय, जब शीतलहर हो, बारिश का मौसम हो या तेज धूप लगे तो वैसी स्थिति में बच्चों को छुट्टी देना पड़ता है. 

2 कमरे में होती है 200 बच्चों की पढाई 

कैमूर जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर अनुसूचित जाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय अखलासपुर है. जहां 353 बच्चे नामांकित है और प्रतिदिन सवा 200 बच्चे विद्यालय में पढ़ने के लिए आते हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक शिक्षिका सहित कुल 11 लोग मौजूद हैं. जहां 1 से 8 क्लास तक की पढ़ाई होती है. इतने बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार द्वारा महज दो कमरे और एक छोटा सा कार्यालय बनाया गया है. इन 2 कमरों में से एक कमरे में वर्ग 6 और 7 की पढ़ाई होती है और दूसरे कमरे में वर्ग 8 की पढ़ाई होती है. यानी कि 3 क्लास के बच्चों के लिए दो कमरे उपलब्ध हैं और एक से पांच तक के बच्चे खुले आसमान के नीचे और पेड़ की छाया में पढ़ने को मजबूर हैं. 

खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे 

खुले आसमान के नीचे पढ़ने वाले क्लास एक दो और तीन अलग-अलग ही वही बैठते हैं. जिसमें पहली क्लास को जो शिक्षा दी जाती है. वह दूसरी क्लास के बच्चे सुनते रहते हैं और जो दूसरी क्लास को शिक्षा दी जाती है. वह पहली क्लास के बच्चे सुनते रहते हैं और पांचवी छठवीं क्लास वही स्कूल कैंपस में बने सामुदायिक भवन के बरामदा में पढ़ते हैं. ऐसे में शिक्षक चाह कर भी बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं दे पाते.

2007 से ही शिक्षा विभाग को लिखा गया पत्र पर नहीं हुई कार्रवाई 

प्रधानाचार्य सहित सभी शिक्षक बताते हैं विद्यालय में वर्ग 1 से वर्ग 8 तक की पढ़ाई होती है. साल 2007 से ही शिक्षा विभाग को लगातार पत्र के माध्यम से कमरा बनवाने के लिए कहा जा रहा है लेकिन अभी तक उस पर कोई पहल नहीं हुआ है. कई प्रधानाचार्य विद्यालय के इन मांगों को रखते हुए बदल चुके लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. चाह कर भी हम लोग बेहतर शिक्षा बच्चों को नहीं दे पा रहे हैं. अच्छी पढाई के लिए चारदीवारी और खेल का मैदान भी आवश्यक है. विद्यालय की कुछ जमीन अतिक्रमण की चपेट में है उस पर भी ध्यान देना होगा.

HIGHLIGHTS

. बारिश के मौसम में बच्चों को देनी पड़ती है छुट्टी
. खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे 
 . शिक्षा विभाग लिखा गया पत्र पर नहीं हुई कार्रवाई 

Source : News State Bihar Jharkhand

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