Advertisment

स्कंदमाता की कृपा से भर जाती है सूनी गोद, जानें क्यों कहा जाता है माता को पद्मासना देवी

आज नवरात्रि का पांचवा दिन है और आज स्कंद माता की पूजा होती है. पांचवा दिन मां दुर्गा का स्वरूप स्कंद माता को समर्पित होता है. इस दिन स्कंद माता की पूजा का विधान है. इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थापित रहता है.

author-image
Rashmi Rani
New Update
skandmata

Skandamata( Photo Credit : फाइल फोटो )

Advertisment

आज नवरात्रि का पांचवा दिन है और आज स्कंद माता की पूजा होती है. पांचवा दिन मां दुर्गा का स्वरूप स्कंद माता को समर्पित होता है. इस दिन स्कंद माता की पूजा का विधान है. इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थापित रहता है. स्कंद माता को अत्यंत दयालु माना जाता है. कहते हैं कि देवी दुर्गा का ये स्वरूप मातृत्व को परिभाषित करता है. स्कंदमाता की कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है. इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं.

माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है

इनकी चार भुजाएं हैं. इनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा में भी कमल हैं. माता का वाहन शेर है. स्कंदमाता कमल के आसन पर भी विराजमान होती हैं. इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन माता को केले का भोग लगाने से शरीर स्वस्थ रहता है.

भगवान कार्तिकेय का भी मिलता है आशीर्वाद 

शास्त्रों में स्कंदमाता का काफी महत्व बताया गया है. इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. पहाड़ों पर रहने वाली मैया स्कंदमाता का सुमिरन करने से भगवान कार्तिकेय का भी आशीर्वाद मिलता है. स्कंदमाता की कृपा से सूनी गोद भर जाती है. नवरात्रि में मां स्कंदमाता की आराधना से जीवन की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.

कौन हैं देवी स्कंदमाता ? 

मां भगवती का पंचम स्वरूप स्कंदमाता है. नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी स्कंदमाता हैं. स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. स्कंदमाता को पद्मासना भी कहा जाता है.

कैसा है स्कंदमाता का स्वरूप? 

स्कंदमाता का स्वरुप मन को मोह लेने वाला है. मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. मां के दो हाथों में कमल का फूल और एक में तीर है. मां के एक हाथ में स्कंदजी बालरूप में बैठे हैं, और मां का वाहन सिंह है

मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व 

मां स्कंदमाता की पूजा से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. मां स्कंदमाता मोक्ष के द्वार खोलने वाली हैं. मां की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त होता है.

यह भी पढ़ें : नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की होती है आराधना, जाने कौन हैं देवी कुष्मांडा

मां स्कंदमाता के मंत्र 

'ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:।।
'ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।'
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

HIGHLIGHTS

  • माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है
  • मां की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को होता है संतान सुख प्राप्त 
  • कार्तिकेय की माता के कारण मां को स्कंदमाता जाता है कहा

Source : News State Bihar Jharkhand

Bihar News chaitra navratri Chaitra Navratri Puja Vidhi Navratri Puja navratri 2023 Skandamata
Advertisment
Advertisment