बिहार विधानसभा में सोमवार को महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम का प्रभाव देखने को मिला और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधा. तेजस्वी ने सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में 2015 के चुनाव में सरकार बनाने का जनाधार नहीं प्राप्त होने के बावजूद 2017 में भाजपा को प्रदेश की सत्ता में लाने के लिए यहां भी तो रात ही में खेल हुआ था. बिहार विधानसभा की सोमवार की सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस, राजद और भाकपा-माले के विधायकों ने रविवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के विरोध में कांग्रेस के “जन वेदना” मार्च में भाग लेने वालों पर पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ नारेबाजी की.
तेजस्वी ने कहा ''हम विपक्षी दलों का कर्तव्य है कि जनता की समस्याओं को सरकार के सामने लाएं. चाहे सदन के अंदर हो या बाहर. कल कांग्रेस के लोगों ने जनसमस्याओं को सड़क पर उठाने का काम किया लेकिन मुझे अफसोस है कि चाहे कर्मचारी या विपक्ष किसी भी समस्या को उठाना चाहते हैं सरकार लाठी डंडे से उसे दबाने का काम करती है . कल जो हुआ उसकी हम घोर निंदा करते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी धरना प्रदर्शन के समय ज्ञापन देने का अधिकार होता है. कल कांग्रेस के लोगों को राजभवन चलने के लिए कहा गया और उन्हें कोतवाली थाना ले जाया गया. इस तरह का बर्ताव पिछली किसी भी सरकार ने नहीं किया.’’ तेजस्वी ने सदन में मौजूद उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘ उपमुख्यमंत्री कहते हैं रात के अंधेरे में अच्छे काम होते हैं. ये रात के अंधेरे वाली सरकार है.’’
तेजस्वी के इस कथन पर अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने उनसे कहा कि नेता प्रतिपक्ष मामले को बिहार से महाराष्ट्र कहां पहुंचा रहे हैं. राजद नेता ने कहा कि यहां भी तो रात ही में खेल (2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजद और कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर बिहार में राजग सरकार का गठन) हुआ महोदय. तेजस्वी का इशारा सुशील के उस ट्वीट की ओर था जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘जो लोग महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने और नई सरकार के गठन की प्रक्रिया रात में शुरू होने पर विलाप कर रहे हैं, उन्हें जानना चाहिए कि भारत को आजादी भी आधी रात को ही मिली थी. यूनियन जैक रात में उतारा गया था. नवरात्र में शक्ति की साधना और दीपावली में लक्ष्मी-पूजा का अनुष्ठान भी रात में ही होता है. संस्कृति और इतिहास से कटे लोग जनता से क्या जुडेंगे''.
बाद में बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान सदन परिसर में भी तेजस्वी ने कहा कि राजद के पास भी भगवा पार्टी के साथ गठबंधन करने और सत्ता बरकरार रखने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. उन्होंने कहा "अगर हम समझौते के लिए सहमत हो जाते, तो राजद से किसी के मुख्यमंत्री होने पर भी सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री ही होते.’’ तेजस्वी के प्रहार पर सुशील ने सदन में जवाब न देकर सोमवार को ट्वीट कर कहा ''1977 की ऐतिहासिक जनता पार्टी से जनसंघ के अलग होने के बाद केवल भाजपा ही अपने सिद्धांतों पर अडिग रही, जबकि दूसरे धड़े के लोगों ने अहंकार और सत्ता मोह में सिद्धांतों को इतना तोड़ा-छोड़ा कि अब उनके टुकड़ों को गिनना भी मुश्किल है. उन्होंने कहा ''राजद ने गैर कांग्रेसवाद का सिद्धांत कूड़ेदान में डालकर राबड़ी देवी की सरकार चलायी और घोटाले किये. समाजवाद को विकृत कर परिवारवाद में बदलने वाले लोग आज किस सिद्धांत की राजनीति की बात कर रहे हैं?''
सुशील ने कहा ''लालू प्रसाद ने जो राजनीति डा.लोहिया के गैरकांग्रेसवाद, भ्रष्टाचार-परिवारवाद के विरुद्ध जेपी आंदोलन और पिछड़े वर्गों को सामाजिक न्याय दिलाने के आंदोलन से शुरू की थी, वह सिद्धांतों को तिलांजलि देकर सत्ता और संपत्ति के लिए किये गए शर्मनाक समझौतों की गर्त में डूब गई.'' विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों की कार्यवाही भोजनावकाश के बाद भी स्थगित करनी पडी.
Source : Bhasha