स्वतंत्रता सेनानी रामदेव सिंह लखीसराय जिला के पिपरिया थाना क्षेत्र के रामचंद्र पुर गांव में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाते हुए 1945 में मुंगेर जेल गए थे. आज आजादी के इतने सालों बाद भी हाल ये है कि आजादी के लिए जान देने वाले की स्थल को जिला प्रशासन अभी तक बना नहीं पाए. रामदेव सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25वीं आजादी के जश्न के समय ताम्र पात्र देकर सम्मानित किया था. वहीं रामदेव सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पहले देश की आन बान शान होती थी तिरंगा, जिसके लिए आजादी में हम लोग एक जुट होकर गांधी जी के सपनों को आगे बढ़ाया था. पढ़ाई की उम्र में ही देश के लिए आगे बढ़ने का सौभाग्य मिला.
देशभक्ति का भाव लिए साथियों के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों को हिंदुस्तान से भगाने के लिए लड़ते रहे. स्वतंत्रता सेनानी रामदेव सिंह आजादी की लड़ाई में युवा रहने के कारण हम लोग आगे रहे. हालांकि अपने साथियों के सानिध्य में देश की आजादी में हिस्सा लिया और मुंगेर जेल में रह कर अंग्रेजो के खिलाफ आवाजें बुलंद की थी, उस समय वाहन नहीं थे. पैदल ही 50-60 किलोमीटर मुंगेर जाते थे और साथियों के साथ आंदोलन में हिस्सा लेते थे. पहले हम लोगों का जिला भी मुंगेर ही था, आजादी के बाद से मुंगेर से बैठकर कई जिले बने. राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल ने भी दिल्ली बुलाकर सम्मान दिया था और सभी के साथ तस्वीर भी खिंचवाई थी.
Source : News Nation Bureau