बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की राजनीति मुस्लिम और यादव यानी MY समीकरण के दायरे से बाहर क्या आई, वहां के सवर्ण नेताओं की बल्ले-बल्ले हो गई. इसका सर्वाधिक असर राज्य से राज्यसभा में जाने वाले नेताओं के जातीय चेहरे पर पड़ा है. बिहार से इस समय राज्यसभा भेजे गए नेताओं में सवर्णों का बोलबाला हो गया है, चाहे वह कोई दल से क्यों न हों. बिहार से इस समय राज्यसभा में 16 सदस्य हैं, जबकि JDU के शरद यादव का मामला अभी विचाराधीन है. इस कारण बिहार से अभी 15 राज्यसभा सांसद हैं. राजद कोटे से चुने गए रामजेठमलानी का निधन होने से खाली हुई सीट पर भाजपा (BJP) पूर्व सांसद सतीशचंद्र दुबे को ऊपरी सदन में भेज रही है. सतीशचंद्र दूबे के शपथ ग्रहण के बाद राज्यसभा में बिहार के 10 सवर्ण सांसद हो जाएंगे.
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सवर्ण सांसदों की संख्या बढ़ाने में राजद का भी योगदान कम नहीं है. राजद के तीन राज्यसभा सांसदों में से दो सवर्ण हैं- प्रो. मनोज झा और डा. अशफाक करीम. करीम मुसलमानों की ऊंची जाति से आते हैं. अगर रविशंकर प्रसाद द्वारा खाली की गई सीट से लोजपा के रामविलास पासवान नहीं चुने जाते तो राज्यसभा में बिहार से अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व खत्म हो जाता. पासवान 2010 से 2014 तक राज्यसभा सदस्य थे और राजद की मदद से चुने गए थे.
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इस समय राज्यसभा में राज्य के पिछड़ों का नेतृत्व जदयू के आरसीपी सिंह, कहकशां परवीन और राजद की डॉ. मीसा भारती के जिम्मे हैं. अति पिछड़ों में अकेले रामनाथ ठाकुर हैं. शरद यादव का मामला कोर्ट में होने से उन्हें किसी खांचे में नहीं रखा जा सकता. बशिष्ठ नारायण सिंह, डॉ. सीपी ठाकुर, आरके सिन्हा, महेंद्र प्रसाद, गोपाल नारायण सिंह, हरिवंश एनडीए के और डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह सवर्ण हैं, जो राज्यसभा में हैं. इनमें डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस से आते हैं.
HIGHLIGHTS
- रामविलास पासवान न चुने जाते तो SC से कोई राज्यसभा में न होता
- राजद ने भी सवर्णों पर जताया भरोसा, तीन में से दो सवर्ण
- अभी पिछड़ों का नेतृत्व आरसीपी सिंह, कहकशां परवीन और मीसा भारती के जिम्मे
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो