पाकिस्तान से प्रताड़ना के बाद बिहार के मोतिहारी पहुंचे परिवार आज भी प्रताड़ित हो रहे हैं. देश की आजादी के 70 साल गुजरने के बाद भी इन शरणार्थी परिवारों को नागरिकता नहीं मिल सकी हैं, जिसके कारण सरकारी सुविधाओं से दूर इन परिवारों को नए नागरिकता कानून से आशा जगी है. देश की आजादी और विभाजन के बाद बने पूर्वी पाकिस्तान से 1947 से 54 के बीच परिवार विस्थापित हुए. जिनमें करीब 1100 परिवारों को सरकार ने पूर्वी चंपारण में 9 कॉलोनियों में बसाया. इन परिवारों के भरण-पोषण के लिए खेती योग्य साढ़े 4 एकड प्रति परिवार जमीन दे दी गई थी, लेकिन इस जमीन का मालिकाना हक आज तक उन्हें नहीं मिला है.
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शरणार्थी कॉलोनियों में रहने वाले इन 1100 परिवारों को आज तक नागरिकता प्रमाण पत्र भी नहीं मिला. हालांकि इनके नाम मतदाता सूची में जुड़ने के साथ साथ अब आधार कार्ड भी निर्गत हुए हैं. मगर परेशानियां आज भी बरकरार हैं और ये परिवार आज भी विस्थापित का दंश झेल रहे हैं. पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापन के बाद शरणार्थी की जिंदगी गुजारते 1100 परिवार 65 साल गुजरने के बाद आज 2 हजार परिवार में बदल गए. लेकिन इनकी दशा नहीं सुधर सकी है.
मोतिहारी नगर के व्यवसायियों के दुकानों में सेल्स मैन की नौकरी,ब दाम बेचना और घर में पीडी बनाना, इसकी पीढ़ी दर पीढ़ी का पेशा बना है. लेकिन बीपीएल परिवारों को मिलने वाली सुविधाएं नसीब नहीं हो सकी. आज भी ये परिवार झोंपडी में रहते हैं. बच्चों की पढाई, छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाओं से वंचित होकर बीच में ही छूट जाती हैं. जमीन का मालिकाना हक तक नहीं मिला, जिस कारण आवासीय प्रमाण पत्र और जातीय प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है.
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केंद्र की बीजेपी सरकार के नए नागरिकता संशोधन कानून लागू करने से इन परिवारों को अब आस जगी है. शरणार्थी का जीवन गुजारने वाले इन परिवारों के बीच पूर्वी चम्पारण के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह पहुंचकर नये कानून से मिलने वाली लाभ की जानकारी दे रहे हैं. जिसके बाद इन परिवारों में खुशी लौटने की उम्मीद जगी है. अबतक शरणार्थी बन कर जी रहे इन परिवारों को स्थायी नागरिकता मिलने के साथ सरकार की सभी सुविधाएं मिलेगी. पीड़ित और वंचित परिवारों को सुविधा देने के लिए बने नागरिकता संशोधन कानून से पूर्वी चम्पारण के सैकडों परिवारों में खुशी आएगी.
Source : News Nation Bureau