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कैंसर का हॉट-स्पॉट बना पटना का ये इलाका, शासन-प्रशासन से मदद की दरकार

कहते हैं 'जल ही जीवन है', लेकिन पटना से सटे मनेर में यही पानी लोगों के लिए मौत का कारण बन रही है. पटना जिले का मनेर ब्लॉक कैंसर रोगियों का हॉट स्पॉट बनता जा रहा है.

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Jatin Madan
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फाइल फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कहते हैं 'जल ही जीवन है', लेकिन पटना से सटे मनेर में यही पानी लोगों के लिए मौत का कारण बन रही है. पटना जिले का मनेर ब्लॉक कैंसर रोगियों का हॉट स्पॉट बनता जा रहा है. आर्सेनिक युक्त पानी को पीकर ना जाने कितने लोगों ने अपनी जान गवा दी है और कितने बीमारी से ग्रस्त है, लेकिन शासन-प्रशासन है कि अपने कुंभकर्णी नींद से उठने का नाम नहीं ले रही है. पटना जिले का एक गांव कैंसर का हॉट स्पॉट बनता जा रहा है. ग्रामीणों में कैंसर संक्रमण की तरह फैल रहा है. इतनी मौतें हुई हैं कि लोग गिन नहीं पा रहे और इस सब की वजह है पानी. जो पानी जिंदगी के लिए सबसे अहम है वो इन गांवों में मौत के तांडव की वजह बन रही है.

न्यूज़ स्टेट बिहार-झारखंड को जैसे ही इसकी जानकारी मिली हमारी टीम पटना से करीब 40 किलोमीटर दूर मनेर ब्लॉक पहुंची. इस ब्लॉक के कई गांवों में लोग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं. टीम ने मनेर का रुख किया. सबसे पहले पहुंचे हाथी टोला गांव, जहां हमारा स्वागत ढके हुए पानी के कुओं ने किया. मानों कुआ ना हो मृत्युलोक हो, जिसे ढककर लोग अपनी जान बचा रहे हैं.

आर्सेनिक की वजह से लाल पानी
दरअसल इस गांव में 1990 के बाद चापाकल लगाए गए, लेकिन चापाकल से पानी निकलने पर कुछ देर में ही पानी आर्सेनिक की वजह से लाल हो जाता था. पहले तो लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी. लिहाजा वो सालों तक इसी पानी का इस्तेमाल करते रहे और कैंसर का शिकार बनते रहे. फिर साल 2008 में भ्रमण करने आई विदेशी टीम ने इस पानी को खतरनाक बताया. जिसके बाद सरकार की टीम आई और चापाकल पर लाल निशान लगाकर लौट गई. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का आश्वासन तो दिया गया, लेकिन तब से लेकर आजतक ग्रामीण प्लांट के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं. 11 साल पहले करीब 75 करोड़ की लागत से लोदीपुर गांव में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम शुरू किया गया था. कंपनी ने आधा-अधूरा काम किया ही था कि जमीन अधिग्रहण का पेच फंस गया और काम पूरा नहीं हो सका.

पानी पीने से डरते हैं लोग
हाथी टोला में कैंसर के चलते ना जाने कितनी मौतें हुई है और कई लोग अभी भी बीमारी की चपेट में है. आलम ये है कि अब लोग पानी पीने से भी डरने लगे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन ने तो ग्रामीणों की सुध लेनी भी छोड़ दी है. गांव के घर-घर में बीमारी दस्तक दे रही है और जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने गांव वालों को उनके हाल पर छोड़ दिया है. पानी में आर्सेनिक पर शोध करने वाले शोधकर्ता संजय कुमार की मानें तो आर्सेनिक के चलते ही ज्यादातर लोग कैंसर का शिकार हो रहे हैं. पानी में आर्सेनिक होने से चर्म रोग और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के भी मामले सामने आए हैं. 

लोगों को कैंसर की बीमारी
इस गांव से निकल हमारी टीम छिहत्तर गांव पहुंची, यहां की स्थिति और भयावह थी. गांव वालों ने बताया कि गांव में कई लोगों को कैंसर की बीमारी है, लेकिन सामाजिक शर्म के चलते नहीं बोलते और चुपचाप इलाज कराते हैं. कैंसर के साथ ही बड़ी संख्या में लोग टीबी, चर्म रोग, किडनी और लिवर की समस्या से भी ग्रसित हैं. दावा है कि इन पंचायतों में करीब 20 लोग हर साल कैंसर से मरते हैं. जबकि स्किन की समस्या तो 80 फीसदी लोगों में हैं.

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HIGHLIGHTS

  • ये कुआं नहीं 'मृत्युलोक' है...
  • कैंसर का हॉट-स्पॉट बना मनेर
  • आर्सेनिक युक्त पानी से लोग बीमार
  • शासन-प्रशासन से मदद की दरकार

Source : News State Bihar Jharkhand

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