बिहार विधानसभा के दोनों सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग 3 नवंबर को हुई. कल यानि के 6 नवंबर को काउंटिंग होगी जिसके बाद ये पता चल जाएगा की आखिर जनता ने किसे स्वीकार किया है. दोनों ही सीट महागठबंधन की सरकार के लिए अहम है. क्योंकि अगर दोनों ही सीटों पर महागठबंधन जीत हासिल करती है तो ये साफ हो जाएगा की जनता ने सीएम नीतीश को अपना लिया है और अगर महागठबंधन हार जाती है तो बीजेपी की बात सच हो जाएगी की उन्होंने जनता को धोखा दिया है जिसका फैसला अब जनता ही करेगी.
दोनों ही सीट महागठबंधन के लिए अहम
6 नवंबर को आने वाला चुनाव परिणाम बिहार की दशा और दिशा को तय करेगा. क्योंकि यह देखना दिलचस्प होगा कि 2013, 2015, 2017, 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस प्रकार राजनीतिक दोस्ती और दुश्मनी कि नई कथा लिखी है. उसका कितना असर बिहार के वोटरों पर हुआ है. दरअसल, यह चुनाव नहीं महागठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा है क्योंकि अगर आरजेडी मोकामा का सीट हार जाती है तो यह नीतीश कुमार के लिए बहुत बड़ा झटका होगा. इसी तरह अगर बीजेपी गोपालगंज का सीट बचाने में असफल रहती है तो यह मान लिया जाएगा कि बिहार की जनता ने महागठबंधन की सरकार को अपनी सहमति दे दी है.
मोकामा की सीट पर क्यों टिकी है सभी की नजरे
बीजेपी हो या आरजेडी दोनों ने यहां दो बाहुबलियों को साथ लेकर सीट पर अपना कब्जा करने की कोशिश की है. यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चुनाव बाहुबली नहीं बल्कि उनकी पत्नी लड़ रही हैं. जाहिर है पार्टी और पत्नी की नजर में प्रतिष्ठा बचाने के लिए बाहुबलियों की ओर से हर संभव प्रयास किए जाएंगे. मोकामा में पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी जो RJD की उम्मीदवार हैं उनका सीधा मुकाबला BJP की उम्मीदवार जो कि बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी से है. अनंत सिंह के समर्थक जी-जान से उनकी पत्नी नीलम देवी को चुनाव जिताने के लिए काम कर रहे हैं. दूसरी तरफ ललन सिंह भी अपनी पूरी ताकत के साथ अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए समर्थकों के साथ बीजेपी की जीत पक्की करने में लगे हैं.
गोपालगंज में महागठबंधन की हो सकती है हार
गोपालगंज में आरजेडी ने शराबबंदी वाले बिहार में एक शराब व्यापारी को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने इसी को मुद्दा बनाया है. बीजेपी ने अपने पूर्व विधायक सुभाष सिंह के असामयिक निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर उनकी पत्नी कुसुम देवी को कैंडिडेट बनाया है. बीजेपी को उम्मीद है कि गोपालगंज की सीट आराम से जीत जाएगी क्योंकि आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के खिलाफ याचिका दायर की गई है. जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 7 सितंबर को शराब के अवैध व्यवसाय को लेकर शराबबंदी कानून के तहत दर्ज आपराधिक मुकदमे की जानकारी छुपा कर नामाकंन पत्र में गलत जानकारी दी है, जिसको लेकर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई भी हुई है. अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी. ऐसे अगर इसे सही पाया गया तो उनके ऊपर कार्रवाई हो सकती है.
मुख्यमंत्री का राजनीतिक ग्राफ जनता की नजर तेजी से घटा
चुनावी रणनीतिकार माने जाने वाले प्रशांत किशोर ने अपनी यात्रा के दौरान कहा था कि बिहार के दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव का जब परिणाम आएगा तब महागठबंधन के अंदर एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण करने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. पीके ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार के गलत निर्णय की वजह से बिहार की स्थिति खराब हो चुकी है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री का राजनीतिक ग्राफ जनता की नजर में काफी तेजी से घट रहा है.
क्या सूरजभान सिंह बीजेपी की हार के लिए होंगे जिम्मेदार
भाजपा की ओर से पूर्व सांसद और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह ने प्रचार की कमान संभाल रखी थी. इस लड़ाई को 'नीलम बनाम सोनम' के बजाय 'अनंत बनाम सूरजभान' के तौर पर भी देखा गया. मोकामा में यदि भाजपा का कमल खिलता है तो इसका श्रेय पार्टी को जाएगा. वहीं, दूसरी ओर यदि बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल जाती है तो इसका ठिकरा सूरजभान सिंह और ललन सिंह के चुनाव प्रबंधन पर फूटना तय है.
HIGHLIGHTS
. दोनों ही सीट महागठबंधन के लिए अहम
. गोपालगंज में महागठबंधन की हो सकती है हार
. मोकामा की सीट पर टिकी है सभी की नजरे
Source : News State Bihar Jharkhand