बिहार में शिक्षा की बदहाली की कई तस्वीरें सामने आती रहती है. कहीं स्कूल नहीं तो कहीं शिक्षकों की कमी. ना बैठने का जुगाड़ और ना ही छात्रों के लिए कोई इंतजाम, लेकिन निराश करने वाली इन तस्वीरों के बीच अररिया का स्कूल अपने अनोखे रंग-ढ़ंग और पढ़ाई के नायाब तरीकों के लिए नई मिसाल पेश कर रहा है. स्कूल का भवन किसी ट्रेन जैसा लगता है. अररिया प्रखंड का मध्य विद्यालय पैकटोला हाईस्कूल अपने अनोखे भवन के चलते चर्चाओं का विषय बन गया है. ट्रेन जैसे स्कूल को देखने के लिए दूसरे जिलों से भी लोग आ रहे हैं.
दरअसल स्कूल के दीवारों को ट्रेन की शक्ल दी गई है. जहां कमरों के दरवाजे हैं, वहां ट्रेन की एंट्री गेट बनाया गया है. जो दिखने में बेहद अनोखा और आकर्षक लगता है. यही वजह है अब स्कूल में बड़ी संख्या में छात्र भी आने लगे हैं जो छात्र कभी पढ़ाई से भागते थे. वो भी स्कूल में आकर पढ़ाई करते हैं.
ये स्कूल 1902 में बना था. पहले स्कूल घास फूस की झोपड़ी में चलता था, लेकिन समय बदला साथ ही बदली स्कूल भवन की सूरत. जो नहीं बदला वो था पढ़ाई का वही पुराना तरीका. फिर क्या स्कूल के प्रिंसिपल ने ठान ली कि अब स्कूल में कुछ नया करना है. ताकि बच्चों के लिए पढ़ाई आसान भी हो और मजेदार भी. इसी कोशिश में स्कूल प्रबंधन ने पूरे स्कूल को ट्रेन जैसा लुक दे दिया. स्कूल प्रबंधन की पहल का असर भी हुआ. जहां बच्चों ने पढ़ाई में रुचि दिखानी शुरू कर दी. शिक्षकों का कहना है कि आगे भी बच्चों के लिए कुछ ना कुछ नया करने की कोशिश जारी रहेगी.
मध्य विद्यालय पैकटोला की चर्चा आज पूरे जिले में हो रही है. स्कूल प्रबंधन की पहल की सराहना हर आम ओ खास कर रहा है. स्कूल प्रबंधन की कोशिशों का ही नतीजा है कि दूसरे स्कूल भी इससे प्रेरणा ले रहे हैं.