बिहार की राजधानी पटना को स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी चल रही है. मेट्रो ट्रेन भी राजधानी पटना में दौड़ने के लिए तैयार हो रही है. मेट्रो प्रोजेक्ट, गैस पाइप लाइन योजना के अलावा नमामि गंगे, सीवेज ट्रीटमेंट और कई अन्य प्रोजेक्ट राजधानी पटना में चल रहे हैं. जो आने वाले समय में राजधानी की सूरत और सीरत बदल देंगे, लेकिन जिस तरह से इन प्रोजेक्ट का संचालन हो रहा है उसने आम आदमी की पीड़ा बढ़ा दी है. राजधानी पटना में जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं उसकी वजह से आम आदमी का जीना दुर्भर हो चुका है. पटना में मेट्रो प्रोजेक्ट से लेकर गैस पाइप लाइन योजना का काम चल रहा है, आम लोग इससे काफी ज्यादा परेशान हैं. नमामि गंगे परियोजना को लेकर भी लोग परेशान हैं क्योंकि इसके तहत सड़कों को खोद कर महीनों के लिए छोड़ दिया गया है और यह प्रोजेक्ट कब पूरे होंगे किसी को पता तक नहीं है.
करने चाहिए थे इंतजाम
सबसे परेशानी की बात यह है कि इन प्रोजेक्ट्स को कब शुरू किया गया है? कब खत्म किया जाएगा? इसकी कोई जानकारी आम आदमी को नहीं है. सड़कें खोद दी गई हैं. लोग जाम से त्राहिमाम कर रहे हैं, लेकिन संबंधित एजेंसी की तरफ से लोगों के आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं है. लोग जाम से परेशान हैं तो दुकानदार इन प्रोजेक्ट की वजह से दुकानदारी पर पड़ रहे असर से त्राहिमाम कर रहे हैं. राजधानी पटना में जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं और उसमें नियमों को लेकर जिस तरह से कोताही की जा रही है. उसमें जिला प्रशासन की लापरवाही भी उजागर हो रही है. क्योंकि बगैर जिला प्रशासन के एनओसी के आप निर्माण कार्य शुरू नहीं कर सकते हैं और अगर निर्माण कार्य शुरू कर रहे हैं तो बाकायदा इलाके के लोगों को सूचित करना होगा और उनके लिए आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के साथ-साथ ट्रैफिक कैसे सुचारू रहे इसका भी इंतजाम करना पड़ता है.
एक-दूसरे के सिर ठीकरा
सबसे हैरानी की बात है कि आप संबंधित विभागों से जब निर्माण एजेंसियों की मनमानी के बाबत सवाल पूछने जाएंगे तो नगर निगम सारा ठीकरा फोड़ेगा बिडको (BUIDCO) के सिर पर. बिडको (Bihar Urban Infrastructure Development Corporation) में जब आप जाएंगे तो अधिकारी कहेंगे कि यह मामला दूसरे विभाग का है. जब इस पूरे मसले को लेकर मेयर से आप सवाल पूछने की कोशिश करेंगे तो मेयर जवाब देना तो दूर मिलना तक मुनासिब नहीं समझती हैं.
बीजेपी का बयान
हालांकि राजधानी पटना में निर्माण एजेंसियों की मनमानी पर बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया का मानना है कि यह परियोजनाएं काफी अच्छी हैं, लेकिन लगे हाथ उन्होंने परियोजनाओं के बहाने राज्य सरकार पर भी निशाना साध लिया और आम आदमी की मजबूरी का रोना भी रो लिया, लेकिन सवाल तो स्थानीय विधायक पर भी है कि निर्माण एजेंसियों की लापरवाही और मनमानी और आम आदमी की परेशानी का सवाल भी तो आप ही को उठाने की जिम्मेदारी है तो फिर आखिर आप ठीकरा दूसरों पर क्यों फोड़ रहे हैं?
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बिहार में अफसरशाही हावी
निर्माण एजेंसियों की लापरवाही पर जाने-माने सामाजिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि बिहार में अफसरशाही इतनी हावी है कि इसका फायदा अब निर्माण एजेंसियां भी उठा रही हैं. विभागों में आपसी तालमेल की कमी की वजह से किसी भी सड़क को खोदकर छोड़ दिया जाता है जबकि नियम यह है कि अगर कोई निर्माण एजेंसी सड़क पर काम करती है तो उसके मेंटेनेंस और निर्माण की भी जिम्मेदारी उसी की होती है, लेकिन विभागों में आपसी खींचतान और तालमेल की कमी की वजह से निर्माण एजेंसियां आम लोगों के गाढ़ी कमाई को डकार रही हैं.
जनता परेशान
भले ही राजधानी पटना को स्मार्ट सिटी में तब्दील करने की तैयारी जोरों से है, लेकिन जिस तरह से तैयारी चल रही है और जिस तरह से निर्माण एजेंसियां निर्माण कार्य में लापरवाही और कोताही बरत रही हैं उसने आम आदमी का जीना तो मुहाल कर ही दिया है. साथ ही सवाल उठा दिया है सरकार की कार्यशैली पर कि क्या बिहार में निर्माण एजेंसियां इतनी निरंकुश है कि उन्हें सरकार का भी कोई डर नहीं है.
रिपोर्ट : रितेश मिश्रा
HIGHLIGHTS
- जहां-तहां गड्ढे, बढ़ी परेशानी
- गड्ढों में सड़क या सड़क में गड्ढे
- परियोजना अधूरी कब होगी पूरी?
Source : News State Bihar Jharkhand