नवादा में एक बार फिर से पंचायत का तुगलकी फरमान देखने को मिला है. दरअसल, पंचायत ने एक 5 साल की मासूम के साथ रेप करने वाले आरोपी को मात्र 5 बार उठक बैठक की सजा देकर छोड़ दिया. पूरे मामले का वीडियो किसी ने बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वायरल वीडियो जिले के पुलिस कप्तान तक पहुंचा और फिर पुलिस कप्तान यानि एसपी के आदेश के बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई.
मिली जानकारी के मुताबिक, नवादा के अकबरपुर थाना क्षेत्र में एक पांच साल की बच्ची के साथ एक युवक ने दुष्कर्म किया. मामले को रफा दफा करने के लिए गांव में पंचायत लगाई गई और पंचों ने अन्याय करते हुए आरोपी को पांच बार उठक बैठक करने की सजा सुनाई. मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हुआ और मामला एसपी गौरव मंगला के संज्ञान में आया. एसपी के आदेश पर अब अकबरपुर थाने में एफ.आई. आर. दर्ज की गई है.
क्या कहता है कानून?
दुष्कर्म से जुड़े मामलें में पीड़िता के बयान के आधार पर ही एफ.आई.आर. दर्ज किया जाना आवश्यक होता है. अगर मामला संदिग्ध लगे तो पीड़िता का मेडिकल कराया जाना चाहिए और अगर मेडिकल में दुष्कर्म की पुष्टि ना हो तो आरोपी को फाइनल रिपोर्ट में पुलिस द्वारा आरोप मुक्त किया जाना चाहिए. इस मामले में 376 आई.पी.सी. के तहत सबसे पहले मामला दर्ज किया जाना चाहिए था लेकिन मामला पुलिस तक पहुंचा ही नहीं.
वहीं, पंचायत के बहाने न्याय करने वाले पंचों पर भी 120-बी आई.पी.सी. के तहत एफ.आई.आर. दर्ज कर पुलिस के पास चार्जशीट दाखिल करने का अधिकार है. अगर विवेचना के दौरान ये बात सामने आती है कि पीड़िता के परिवार पर फैसला करने का दवाब बनाया गया है अथवा पुलिस से शिकायत ना करने का दवाब बनाया गया हो तो धाराओं में बढ़ोत्तरी की जा सकती है, क्योंकि अक्सर ऐसा समय-समय पर देखने को मिलता रहा है कि रेप पीड़िता को तहरीर बदलने या फिर पुलिस से शिकायत करने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी जाती है.