बिहार के मुंगेर जिले में 26 अक्टूबर की रात्रि देवी दुर्गा के प्रतिमा विर्सजन के दौरान श्रद्धालुओं के साथ झड़प के दौरान पुलिस गोलीबारी में एक युवक की कथित मौत और कई अन्य के घायल हो जाने के मामले में रविवार को दो अलग अलग प्राथमिकी दर्ज की गयी. प्रतिमा विसर्जन में शामिल श्रद्धालुओं पर पुलिसकर्मियों द्वारा लाठी चार्ज करने से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था . इसके आधार पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी . इसके बाद मृत युवक के पिता अमरनाथ पोद्दार ने बेटे की मौत के संबंध में उसी थाने में एक अन्य प्राथमिकी दर्ज करायी है . मुंगेर के पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा, “लोगों पर अनधिकृत और अवांछित लाठीचार्ज में शामिल उन सुरक्षा कर्मियों की पहचान वीडियो फुटेज के आधार पर कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."
उन्होंने बताया कि पीड़ित के पिता द्वारा दायर प्राथमिकी की जांच उनके पुत्र की हत्या के पीछे की सच्चाई को सामने लाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में गठित जांच टीम द्वारा करायी जाएगी . गौरतलब है कि धार्मिक जुलूस पर पुलिस की कार्रवाई के दौरान एक युवक की मौत हो गयी जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए थे. चुनाव आयोग ने 29 अक्टूबर को मगध प्रमंडल के आयुक्त असंगबा चुबा एओ को पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया था . स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस द्वारा की गयी गोलीबारी में 20 साल के एक युवक की मौत हुई. इस बारे में मुंगेर के तत्कालीन जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा था कि वह भीड़ के बीच से किसी के द्वारा चलाई गई गोली से मारा गया था.
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने कहा था, "कुछ असामाजिक तत्वों ने दुर्गा विसर्जन के दौरान पथराव किया, जिसमें 20 जवान घायल हो गए. भीड़ की तरफ से गोलीबारी भी की गई जिसमें दुर्भाग्य से एक व्यक्ति की मौत हो गई." घटना के एक कथित वीडियो में सुरक्षाकर्मियों को विसर्जन जुलूस में लोगों के एक समूह पर लाठीचार्ज करते दिखाया गया था. साथ ही सोशल मीडिया पर एक विचलित करने वाली तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें इस घटना में कथित तौर पर पुलिस गोलीबारी में मारे गए व्यक्ति को उसकी खोपड़ी के खुले हिस्से के साथ जमीन पर पड़ा दिखाया गया था. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दुर्गा विसर्जन के लिए जाने के दौरान मूर्ति को ले जाने के बांस से बने वाहक के टूट जाने के बाद दिक्कत शुरू हुयी थी और इसे ठीक करने में समय लग रहा था. मूर्ति को ले जाने वाले वाहक की मरम्मत में हुई देरी के कारण अन्य विसर्जन जुलूस रास्ते में फंसे हुए थे.
प्रशासन चाहता था कि जुलूस जल्दी से जल्दी निकले क्योंकि सुरक्षाकर्मियों को बुधवार को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया जाना था. इस घटना के आक्रोश में स्थानीय लोगों ने मुंगेर में 29 अक्टूबर को किला क्षेत्र स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर पथराव करने के साथ और एक वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया था. किला क्षेत्र में ही स्थित अनुमंडल अधिकारी के गोपनीय शाखा में तोड़फोड़, मुफस्सिल थाना, महिला थाना, वासुदेवपुर एवं पूरबसराय पुलिस चौकी में तोड़फोड़ एवं आगजनी की. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि अपनी तुलना में उपद्रवियों के भारी संख्या को देखते हुए इन सभी पुलिस थानों के कर्मी अपनी जान बचाने के लिए परिसर से फरार हो गए थे . प्रदर्शनकारियों ने कोतवाली और कासिम बज़ार थाना को भी आग के हवाले करने की कोशिश की, लेकिन वहां उन्हें पुलिसकर्मियों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा जिन्हें भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में फायरिंग भी करनी पडी थी.
उपद्रवियों ने मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान कथित रूप से गोलीबारी करने के लिए जिम्मेदार पुलिस अधीक्षक सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मुंगेर शहर में राजीव चौक के पास टायर भी जलाए थे. उपद्रवियों के खिलाफ कुल पांच प्राथमिकी विभिन्न थानों में दर्ज की गयी है . पुलिस विभाग ने 26 अक्टूबर को गोलीबारी और लाठी चार्ज की घटनाओं के संबंध में मुफस्सिल थाना और बासुदेवपुर चौकी के प्रभारियों को हटाने का आदेश दिया था. विपक्षी दलों के लिपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग के बीच मंगलवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि चुनाव आयोग को घटना का संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए.
राजद के नेतृत्व वाले बिहार के विपक्षी महागठबंधन ने पुलिस की इस कार्रवाई को जलियांवाला बाग की घटना की संज्ञा दी थी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस घटना को लेकर 30 अक्टूबर को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद कहा था, “यह भाजपा-जदयू की सरकार थी जिसने देवी दुर्गा के भक्तों पर लाठीचार्ज और गोलीबारी का आदेश दिया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि आठ अन्य लोग घायल हो गए. "
Source : Bhasha