पटना हाईकोर्ट में जस्टिस द्वारा किए गए निर्णय इन दिनों सोशल मीडिया पर तैरते रहते हैं और यही कारण है कि आम आदमी को आज भी न्यायालय पर इस बात का भरोसा रहता है उसे अगर कही इंसाफ नहीं मिलेगा तो न्यायालय उसे इंसाफ देगा. अपने इंसाफ को लेकर सुर्खियों में में रहने वाले पटना हाईकोर्ट के के कई डिसीजन रहते हैं. गलती पाने पर संबंधित को फटकार लगाने, पुलिस वालों के अंधे न्याय को रद्द कर पीड़ित को न्याय देने और ऑन डेस्क एसपी समेत दूसरे पुलिस अधिकारियों को बखूबी कानून का पाठ पढ़ाने का काम हाईकोर्ट के जस्टिस करते रहते हैं.
इसी तरह का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, हाईकोर्ट में एक याचिका निचली संबंधित अदालतों के निर्णय के खिलाफ दाखिल की जाती है. दाखिल, याचिका में कथन किया गया रहता है कि एक शख्स की दो पत्नी हैं. पहली पत्नी की मौत के बाद शख्स ने दूसरी शादी की थी. पहली पत्नी से शख्स को एक पुत्र और दूसरी पत्नी से 6 संतानें हैं लेकिन संपत्ति का मुआवजा या बंटवारा पत्नियों के आधार पर यानि 50:50 कर दिया गया और मुआवजे की राशि भी 50:50 हुई. निचली अदालत के इस फैसले से पहली पत्नी के पुत्र को पचास फीसदी राशि, जबकि दूसरी पत्नी से उत्पन्न ही 6 संतानों को 50 फीसदी में से प्रत्येक को समान राशि मिली. दूसरी पत्नी के पुत्रों द्वारा पटना हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की गई और सभी संतानों को बराबर के हिस्से की मांग की गई.
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जस्टिस द्वारा पहले मामले को अच्छी तरीके से सुना गया और फिर एक ही सवाल पूछा गया कि क्या ऐसा हिंदू लॉ में है? कि दो पत्नी हैं और संतानों को बराबर का हिस्सा ना दिया जाए? बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा 'नहीं' में उत्तर दिया गया. जस्टिस ने तुरंत याचिकाकर्ता को आदेश दिया कि वो एक एफीडेविट हिस्सा कैसे बंटे इस बात की जानकारी देते हुए दाखिल करे. साथ ही जस्टिस ने ये भी कहा कि सभी संतानों का अपनी पिता की संपत्ति पर बराबर का हक है और बेटियों का भी पिता की संपत्ति पर अधिकार है और उस पत्नी का भी उसके पति की संपत्ति पर उतना ही अधिकार है जितना की संतान का होता है. ऐसे में जस्टिस ने मृतक की पूरी संपत्ति में पहली पत्नी से उत्पन्न 1 पुत्र व 3 पुत्रियां तथा दूसरी पत्नी से उत्पन्न 6 संतानों और जीवित पत्नी यानि कि समस्त राशि का 11 हिस्से करके सबको समान रूप से बंटवारे में राशि मिले. हालांकि, ये स्थिति बेटियों की संपत्ति में हक मांगने पर ही होगी. अगर बेटियां अपना अधिकार छोड़ती हैं तो 1/8 भाग प्रत्येक को मिलेगा. हालांकि, अभी अंतिम निर्णय हाईकोर्ट द्वारा नहीं दिया गया है लेकिन ये लगभग तय है कि 1/11 भाग ही प्रत्येक को मिलेगा यानि निचली अदालत का फैसला 50:50 (दो पत्नियों) वाला खारिज होगा.
HIGHLIGHTS
- शख्स ने पहली पत्नी के मौत के बाद की थी दूसरी शादी
- दो पत्नियों के संतानों के बीच थी लड़ाई
- संपत्ति बंटवारे को लेकर थी लड़ाई
- अंतिम फैसला आना अभी भी है बाकी
Source : Shailendra Kumar Shukla