कोरोना महामारी की वजह से देश में लगे लॉकडाउन के वक्त सड़कों पर प्रवासी मजदूर पैदल ही घर जाते दिखाई दिए थे. जिनमें सबसे ज्यादा बिहार के प्रवासी मजूदर थे. वहीं, बिहार विधान सभा चुनाव में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी चुनावी एक मुद्दा बन गया है. आईएएनएस द्वारा किए गए सी-वोटर के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि बिहार में करीबन 25 फीसदी मतदाताओं का मानना है कि यहां बेरोजगारी और राज्य में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की स्थिति कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें मतदान करते वक्त दिमाग में रखा जाएगा. इसके बाद, मतदाताओं ने सेहत के मुद्दे पर गौर फरमाया है. कुल मतदाताओं में से करीब 12.9 फीसदी का मानना है कि मतदान करते वक्त उनके दिमाग में राज्य के अस्पतालों की स्थिति और दवाओं की उपलब्धता की भी बात रहेगी.
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सर्वेक्षण के मुताबिक, जहां 9.5 फीसदी मतदाताओं के दिमाग में शिक्षा संबंधी सुविधाओं की बात रहेगी, वहीं 7.7 फीसदी मतदाता मतदान करते वक्त राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति और महिलाओं की सुरक्षा को वरीयता देंगे. राज्य में 19.3 फीसदी मतदाता सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण को मतदान करते वक्त निर्णय लेने के तौर पर एक अहम मुद्दा मानेंगे. सी-वोटर के सर्वेक्षण में पता चला कि 13.3 फीसदी लोग राज्य में बिजली, पानी, सड़कों की स्थिति को अपने लिए एक अहम मुद्दा मानते हैं, जिसका ध्यान वे मतदान करते वक्त जरूर रखेंगे. सिर्फ 1.9 फीसदी मतदाता ही वोट देते वक्त सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे राष्ट्र स्तरीय मुद्दों को ध्यान में रखेंगे.
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हालांकि, पिछले दिनों बिहार बाढ़ से काफी प्रभावित रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी केवल 2.6 प्रतिशत मतदाता राज्य में बाढ़ प्रबंधन की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मतदान करेंगे. आखिरकार सी-वोटर में इस बात का भी खुलासा हुआ कि राज्य में 7.7 फीसदी मतदाता ही ऐसे हैं, जिनके दिमाग में मतदान करते वक्त और भी कुछ अन्य मुद्दे होंगे.
Source : IANS/News Nation Bureau